अनाहत ध्वनि श्रवणेन्द्रियों से परे है पर सूक्ष्म अन्तरिक्ष में संव्याप्त इस ऊर्जा स्त्रोत से सामूहिक ध्यान प्रक्रिया द्वारा संबंध जोड़ सकना सम्भव है। वैज्ञानिकों ने परीक्षण द्वारा पाया है कि गायत्री मन्त्र के उच्चारण से मानवी मस्तिष्क से जो विचार तरंगें निकलती हैं, उनके कारण एक विशिष्ट प्रकार तेजोवलय बना जाता है। थियासाफिस्ट श्री लेडबीटर ने अपनी पुस्तक “मैन-विजीबुल अनविजीबुल” में इसका वर्णन करते हुए सामूहिक ध्यान की महत्ता पर विशेष बल दिया है।