स्मरण रखने योग्य (kahani)

August 1983

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

इतने पर भी यह स्मरण रखने योग्य है कि गायत्री का शब्द गुँथन समग्र और ऊर्जा का पुँज है। उसकी पूर्णता और क्षमता को नकारा नहीं जा सकता। उसके स्थान पर ऊँकार से काम चलना आपत्ति धर्म जैसा है। उसे गायत्री का स्थानापन्न नहीं बनाया जा सकता। जहाँ पूर्ण गायत्री जप में कोई अड़चन नहीं है वहाँ उसी का उपयोग करना चाहिए। अभ्यास संबंधी कठिनाई को सरल बनाने और परिपूर्ण गायत्री का ज्ञान अभ्यास कराने के प्रयासों में किसी प्रकार की शिथिलता भी नहीं आने देनी चाहिए। लेकिन जहाँ प्रारम्भ ऊँकार गुँजन से करने की बात बनती हो वहाँ मनाही भी नहीं है। शुभारम्भ तो हो, परिणति निश्चित ही फलदायी होगी। जप और यज्ञ के इस युग्म का प्रचलन अब प्रजा धर्मानुष्ठान का प्राण मानते हुए सभी परिजनों को जुट ही जाना चाहिए।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles