‘स्टाक होम इण्टरनेशनल पीस रिसर्च इन्स्टीट्यूट’ के अनुसार सारे विश्व में मात्र एक वर्ष में युद्ध आयुधों पर अनुमानित खर्च चार खरब चौदह अरब बहत्तर करोड़ रुपये है। इसका अर्थ यह कि प्रति मिनट अस्सी लाख रुपये मात्र विनाश हेतु आयुध निर्माण में ही खर्च कर दिये जाते हैं।
सन् 1951 से 1983 तक शस्त्रों पर होने वाले खर्च में 173 गुनी वृद्धि हुई है। इसके विपरीत ढाई अरब व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें निर्वाह युक्त साधन भी उपलब्ध नहीं हो पाते। यदि एक वर्ष के लिए यह आयुध निर्माण कार्य रोक दिया जाय तो इन सभी के निर्वाह भर की ही नहीं-सारे विश्व की समग्र सुव्यवस्था का निर्धारण हो सकता है।