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August 1983

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कः काल-कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ। कश्चाहं का च में शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः॥

समय क्या है, कौन मित्र हैं, देश क्या हैं, आमदनी और खर्चा क्या है, मैं स्वयं क्या हूँ और मुझमें कितनी शक्ति है-ये छः बातें मनुष्य को बार-बार बराबर सोचते रहना चाहिए।


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