Quotation

August 1983

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

स्थूल क्राँति तोड़-फोड़ को-बदलाव परिवर्तन कहते हैं। उसमें उखाड़-पछाड़ का ध्वंस पक्ष ही प्रधान होता है। आत्मिक क्षेत्र में सृजन को प्रधान माना जाता है ताकि ध्वंस की जरूरत ही न पड़े। अन्धेरे को पाटने की अपेक्षा यह अधिक बुद्धिमत्तापूर्ण होगा कि प्रकाश की व्यवस्था बनाई जाय। युग क्रान्ति वातावरण परिशोधन और सत्प्रवृत्ति संवर्धन के रूप में ही सम्भव है। जैसे-जैसे सज्जन बलशाली बनेगा, दुष्प्रवृत्तियाँ स्वयमेव घटती चली जाएँगी। विचार क्रान्ति का सच्चा सार्थक स्वरूप यही है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles