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Akhand Jyoti
Year 1980
Version 2
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June 1980
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बुद्धिमान वह है जो किसी को गलतियों से हानि खाते देखकर अपनी गलतियाँ सुधार लेता है।
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Page Titles
सत् को समझें सत् को पकड़ें
नियति के अन्तराल का सूक्ष्म प्रवेश अध्यात्म
बुद्धिहीन वैज्ञानिक (kahani)
उपासना की मनोवैज्ञानिक पृष्ठ भूमि
स्थूल से असंख्य गुना समर्थ सूक्ष्य
मकरंद एकत्रित करने लगी (kahani)
विश्व शक्ति का उद्गम प्रति पदार्थ और प्रति व्यक्तित्व
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चेतना जगत के अदृश्य संदेश वाहक
मृत्यु-भय का कारण और निवारण
साहूकार ने तिजोरी खोली (kahani)
ब्रहमाण्ड में विद्यमान, विकसित सभ्यताएँ
दो मित्रों (kahani)
अति विलक्षण अचेतन की माया
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प्रकृति विध्वंस का आयोजन भी करती है
वास्तुकला विशेषज्ञ ये नन्हें प्राणी
अभिवर्धन ही नहीं परिशोधन भी
मस्तिष्क पगलाता क्यों है?
प्रगति के लिए न अधीर हों, न आतुर
परिस्थितियाँ भौतिक, कारण आत्मिक
आत्महीनता की महाव्याधि और उससे छुटकारा
पू. गुरुदेव से भेंट के लिए जुलाई अगस्त ही उपलब्ध गायत्री शक्तिपीठों और व्यक्तिगत परामर्श के लिये इन्हीं दिनों आये
त्रुटि संशोधन
मनौभावों का स्वास्थ्य पर प्रभाव
रोग से ज्यादा रोगी की शत्रु औषधियाँ
कबिरा चिहृ बावरी, ताते नास-बिनास
अपनो से अपनी बात
शक्तिपीठों के लिये कार्यकर्त्ताओं की आवश्यकता
प्रगति-पत्रक
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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