दो मित्रों (kahani)

June 1980

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दो मित्रों ने ईख को खेती की। खेत तैयार होने पर बाँटने की बात चली तो भोले मित्र ने कहा-तुम्ही वट कर दो, जो दोगे वही ले लूँगा। चालक मित्र ने कहा- कि जड़ मैं लेता हूँ तु उपर का भाग ले लो। उसने स्वीकार किया अतः गन्ने चालाक मित्र ने ले लिये और उपर का भाग जिसे अगोला कहते है। भोले मित्र के पल्ले पड़ा। संसार में अधिक भोलापन भी हानिप्रद है।


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