Quotation

June 1980

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“सत् तो एक ही है, पर ब्राहमण उसे भिन्न-भिन्न नामों से पुकारते है। कोई उसे अग्नि कहता है, कोई यन्त्र कहता है, कोई मातरिश्वा (पवन) कहता है।”


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