मकरंद एकत्रित करने लगी (kahani)

June 1980

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

मधुमक्खी उड़ती-उड़ती एक फूल पर बैठ मकरंद एकत्रित करने लगी तो निकट उड़ती तितली ने पूछा- बहिन क्या कर रही हो? मधुमक्खी बोली-’मधु एकत्रित कर रही हूँ॥” और अपने काम में जुट गई।

तितली ने कहा- बहन! तुम र्व्यथ ही अपना श्रम गँवा रही हो। इस छोटे से फूल में मधु कहाँ। चलो, हम दोनों मधु के सरोवर को खोजे।’

मधु मक्खी ने उसके इस आग्रह का कोई उत्तर नहीं दिया। वह अपने काम में जुटी रही। कई दिनों बाद वह तितली उसे दिखाई दी जो उसने पूछा- क्यों बहिन मधु का सरोवर मिला, नहीं मिला।

“हमारे छत्ते को देखों हमने कितना मधु जमा कर लिया है।” मधुमक्खी बोली।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles