श्रद्धा और प्रतिष्ठा (kahani)

November 1978

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श्रद्धा और प्रतिष्ठा ब्रह्मा जी की दो पुत्रियाँ समय पाकर विवाह योग्य हुईं। ब्रह्मा जी ने उनके लिए सत्य और असत्य नामक दो वर ढूँढ़े। एक दिन शुभ घड़ी में पसन्द के लिए वर श्रद्धा और प्रतिष्ठा को दिखाये गये। सत्य परिश्रमी था, और ईमानदार किन्तु निर्धन भी था। देखने में उतना सुन्दर भी नहीं, उसे देखते ही प्रतिष्ठा ने अपनी आँखें फेर लीं। असत्य आलसी था और बेईमान तो भी सम्पन्न और सुन्दर, प्रतिष्ठा ने वरमाला उसी के गले डाल दी। श्रद्धा ने सत्य को देखा ओर उसे अपना पति बना लिया।

प्रतिष्ठा विवाह के बाद से ही अशान्त और दुःखी रहती है। किन्तु सत्य को पाकर श्रद्धा निहाल हो गई।

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