“हमारी विकृत बुद्धि तथा विज्ञान की अन्धी दौड़ ने मिलकर जिस तरह के वातावरण का आज सृजन कर दिया है उससे मानवीय शान्ति प्रगति में एक प्रकार से अवरोध ही उत्पन्न हो गया है। साधन बढ़े हैं, पर उनके सदुपयोग की विवेकशीलता घट गई, फलस्वरूप बढ़े हुए साधन सुविधाजनक सिद्ध नहीं हो रहे हैं वरन् विपत्ति प्रस्तुत कर रहे है। परिस्थिति को गहराई से विश्लेषण करने पर यह निष्कर्ष निकालने कठिन हो जाता है कि हमारी तथाकथित प्रगति कहीं अगति या दुर्गति तो नहीं है।”—अलेक्सस(कैदुल जीव विज्ञान पर नोबेल पुरस्कार विजेता