हमारी स्थूल दृष्टि उन वस्तुओं की शक्ति और महत्ताएं स्वीकार करती है, जो आँखों से दीखती हैं या प्रत्यक्ष अनुभव में आती हैं। किन्तु यदि गहराई से देखा जाय तो प्रतीत होगा कि दृश्य का सूत्र संचालन अदृश्य से हो रहा है। जितनी महत्वपूर्ण शक्तियाँ संसार में हैं, वे सभी अदृश्य हैं।
हवा में पेड़-पौधों को हिलाने, त्वचा का स्पर्श करने जैसे सामान्य कार्य करती भर दीखती हैं, पर वस्तुतः उसका कार्य सृष्टि का सन्तुलन बनाये रखना है। धरती की जो स्थिति हम आज देखते हैं, उसके निर्माण में हवा का बहुत बड़ा हाथ हैं।
इस धरती के, और उस पर निवास करने वाले प्राणियों के अस्तित्व को-अनेक उत्थान-पतन को हवा जिस तरह प्रभावित करती है, उसे देखते हुए उसे जीवन मूरि ही कह सकते हैं। यों सभी जानते हैं कि प्राणियों का प्रधान आहार उनकी नाक द्वारा साँस के रूप में ही ग्रहण किया जाता है। जल और अन्न तो उसके बाद की आवश्यकताएँ हैं।
प्रकृति के अन्तराल में एक ऐसी शक्ति काम करती है, जो हवाओं की गरम अयनवृत्त और ठण्डे बर्फीले ध्रुवीय क्षेत्र को परस्पर बदलती रहती है। एक दूसरी वायु-शक्ति ऐसी भी है, जो विषवत-रेखा पर 1000 मील प्रति घण्टे की चाल से उत्पन्न होती है और पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमने के लिए आवश्यक बल प्रदान करती है।
प्रकृति को प्राणियों के योग्य बनाने में हवाओं का बड़ा हाथ है। दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी किनारों को गर्मी से उत्तरी ध्रुव की हवाएँ ही बचाती हैं। नीदरलैण्ड की आर्थिक रीढ़ वायु-सम्पदा के साथ जुड़ी हुई है। वहाँ लगभग 1000 कारखाने ऐसे हैं, जो हवा के बल पर ही चलते हैं और अनाज पीसने, लकड़ी चीरने जैसे पचासों औद्योगिक प्रयोजन करती है।
संसार भर में वर्षा बहुत कुछ दारोमदार इन हवाओं के उतार-चढ़ाव और अनुग्रह पर ही निर्भर रहता है। प्राचीन काल में जलयानों का भाग्य हवाओं की अनुकूलता-प्रतिकूलता के साथ जुड़ा रहता था। रोमन लोगों ने हवाओं के बहाव का गहरा अध्ययन करके अपनी जहाज रानी को व्यवस्थित किया था और निर्धारित करना-इस तथ्य के सहारे अपना व्यापार खूब चमकाया था। अंग्रेजों ने दक्षिण अफ्रीका को अपना उपनिवेश बनाने में सबसे बड़ी सहायता अनुकूल हवाओं से ही प्राप्त की।
गत शताब्दी में मेथ्यू फान्टेन नामक वायु-विशेषज्ञ ने संसार भर में हवाओं के औंधे तिरछे प्रवाहों का क्रमबद्ध सर्वे किया, उससे अंग्रेजों के आस्ट्रेलिया आवागमन में जल-मार्ग की आधी कठिनाई दूर हो गई। सहारा का रेगिस्तान हवाओं की देन है। ईरान में लगभग चार महीने ऐसा अन्धड़ चलता है, जिससे बालू के टीले खड़े हो जाते हैं और पानी की भारी कमी पड़ जाती है।
सन् 1609 में सर जार्ज सोमेर का जहाज धुक्कड़ हवाओं के फेर में फँसकर बरमूडा के तट पर जा टकराया, उसने उस सुन्दर भू-प्रदेश को देखा और इंग्लैण्ड को अच्छी आजीविका देने वाला उपनिवेश बता दिया। वाटर लू की लड़ाई नैपोलियन इसलिए हारा कि हवाओं ने उससे दुश्मनी निबाही और पानी बरसाकर युद्धस्थल को कीचड़ में बदल दिया। बुलगे के युद्धक्षेत्र में हिटलर को प्रारम्भिक लाभ अनुकूल हवाओं के कारण ही प्राप्त हुआ था।
प्रकृति की सूक्ष्म-सत्ता का अध्ययन करके वैज्ञानिक आश्चर्यचकित हैं कि अदृश्य जगत में कितनी बड़ी सामर्थ्य भरी पड़ी है। यदि हम चेतन-जगत को इस दृष्टि से देखें तो प्रतीत होगा कि दृश्यमान शरीर की तुलना में सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर कितनी महान किन्तु अदृश्य अविज्ञात शक्तियों से भरा पड़ा है।