बरगद का एक बड़ा पुराना पेड़ था। उसके नीचे नन्ही सी बेल उगी और तीन महीने में ही बढ़कर बरगद की आधी ऊँचाई तक चढ़ गई।
एक दिन बेल ने पूछा-वृक्षराज आपकी आयु कितनी है? पेड़ चुप रहा, पर जब वह बार-बार वही प्रश्न पूछती रही तो एक दिन उसने धीमे से कह ही दिया-तीन सौ वर्ष।
लता की हँसी रोके न रुकी। वह बोली- मुझे देखो, तीन महीने में ही इतनी आगे बढ़ गई एक आप हैं, जो तीन सौ वर्षों में इतने कम बढ़ पाये।
वृक्ष ने मौन तोड़ते हुए कहा- बच्ची तुम्हें अभी आँधी-तूफानों से पाला नहीं पड़ा है? तीन सौ साल में शायद तुम तीन सौवीं बेल हो, जो ऐसा ही लाँछन लगाकर हर साल अतीत के गर्त में विलीन हो जाती हैं।