गाने वाली बालू एक रहस्य

December 1973

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भगवान की दुनिया विचित्र है। मानवी बुद्धि उसका थोड़ा ही रहस्य जान पाई है और उतने से ही इतराने लगी है। जो जाना गया है, उससे अनजाना करोड़ों गुना अधिक है। प्रकृति के कुछ रहस्य तो ऐसे है जिन्हें देखकर दाँतों तले उँगली दबानी पड़ती है। गाने वाली बालू से भरे रेगिस्तान अभी भी अपने रहस्य जानने के लिए मानवी बुद्धि को चुनौती दे रहे हैं।

गाने वाली बालू संसार के विभिन्न भागों में पायी जाती है। बारहवीं शताब्दी की बात है-मध्य एशिया दुर्गम रेगिस्तान टकला माकान को मार्कोपोलो अपने सहित पार कर रहा था। एक शाम खेमा गाढ़ते समय एक दल ने सीटी जैसी सुरीली आवाज लगातार बजते सुनी। इसका कोई कारण समझ में नहीं आया तो दल के सदस्य भाग खड़े हुए। उन्होंने उसे स्पष्टतः भूत का आतंक बताया।

प्रायः सभी कुली भाग खड़े हुए थे, पर तीन को उसने बड़ी मुश्किल से रोका। भूत के आतंक से वे भी बदहवास हो रहे थे। इस सुनसान में लगातार इतनी मीठी बंसी बजाकर आखिर भूत के अतिरिक्त और कौन बजा सकता है। वे निरन्तर भागने की आतुरता व्यक्त करते रहे। मार्कोपोलो ने बड़ी चतुरता से उन्हें रोक पाने में सफलता पायी। उसने बचे हुए तीन कुलियों को अपने पास एक का ताबीज दिखाया और कहा-यह भूतों से रक्षा में पूरी तरह समर्थ है। कल जो कुली भागे थे, उन्हें अनजाने वाले भूत ने सामने वाले टीले के पीछे पकड़ डाला है और उनकी चमड़ी की डुग्गी बनाकर फिर रहा है। तुम भागना चाहो तो भले ही चले जाओ पर तुम्हारी भी वही दुर्गति होगी। हाँ, मेरे पास से यह ताबीज मेरी ही नहीं, तुम्हारी भी रक्षा कर सकता है इस आश्वासन से कुली रुक गये और उस रेगिस्तान को पार कर सकना सम्भव हो गया। मार्कोपोलो ने इस सुनसान के संगीत का पता लगाने में बहुत अक्ल लड़ाई, पर कुछ नतीजा नहीं निकला। भूत पर वे विश्वास नहीं करते थे, पर इस नीरव-निनाद का अन्य कोई कारण भी तो समझ में नहीं आता था।

उस रहस्य पर से पर्दा इस शताब्दी के आरम्भ में उठा है। सर आरेल स्टइन ने गोबी मरुस्थल का सर्वे करते हुए यह विवरण प्रकाशित किया कि ‘टकला माकान’ क्षेत्र में बिखरी बालू ध्वनि मुखर है। उससे वाद्य यन्त्रों की तरह क्रमबद्ध ध्वनि प्रवाह निकलता है। गोबी मरुस्थल प्रायः आठ लाख वर्गमील में बिखरा पड़ा है। इसके कितने ही क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ बालू गाती है। इनकी आवाजें अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की हैं। टकला माकान क्षेत्र के पश्चिमी अंचल में अदाँस-पादशा के सारे क्षेत्र की बालू ध्वनि मुखर है। वहाँ अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग तरह के संगीत बजते, गूँजते सुने जा सकते हैं।

स्पेन के एक यात्री एन्टेनियों डी. अल्लोआ जब अपने दल के साथ ऐड्रीज पर्वत श्रेणी पार कर रहा था तो पंचामार्का नोटी के समीप वायु मण्डल में गूँजता हुआ संगीत सुना। उसे सुनकर सारा दल भाग खड़ा हुआ। भगोड़ों ने यहाँ तक बताया कि उन्होंने अत्यन्त विशाल-काय दैत्य की डरावनी छाया भी उस क्षेत्र में भागती-दौड़ती अपनी आँखों से देखी थी।

प्रकृति के कतिपय अद्भुत रहस्यों का पता लगाने में अपने जीवन का महत्वपूर्ण भाग खर्च करने वाले अन्वेषी लेवरी ने दक्षिणी अमेरिका के दुर्गम अंचलों की खोज-बीन की। उसने स्कूइवो नदी के रेतीले मैदान में मुखरित होने वाले ध्वनि संगीत का वर्णन किया है। इसका विवरण सर आर्थर कानन डायल की लास्टवर्ल्ड में विस्तार पूर्वक दिया गया है।


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