गहरे में उतरता हूँ

October 1969

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समुद्री यात्रा से लौटे हुए एक यात्री ने एक गोताखोर से पूछा-बन्धु मैं तो हजार मील यात्रा कर आया पर मुझे तो कहीं, एक भी मोती न मिला, तुम तो एक दिन में ही ढेरों मोती ढूँढ़ लेते हो?”

गोताखोर ने डुबकी लगाने से पूर्व कहा-भाई मैं अपने जीवन को संकट में डालकर गहरे में उतरता भी तो हूँ, तुम्हारी तरह चलता ही नहीं रहता। “


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