भाग्य और भविष्य के महालेख और जीन डिक्सन

October 1969

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

9 वर्ष की एक छोटी सी अमेरिकन लड़की ने अपनी माँ और घर वालों को बुलाया और पूछा-अच्छा बताओ पिताजी घर लौटने पर क्या ला रहे है?” घर वालों ने कई तरह की अटकलें लगाई, अन्त में उन्होंने उस लड़की से भी पूछा-अच्छा तू ही बता-जीन डिक्सन तेरे-डैडी क्या लायेंगे?” उस लड़की ने आँखें ऊपर चढ़ाकर उँगलियाँ हवा में नचाते हुए कहा-बहुत अच्छा सफेद कुत्ता।” उस समय की बात आमोद-प्रमोद में धुल गई। किसी को क्या पता था कि 1000 मील दूर उनके पिता क्या खरीद रहे होंगे।

लेकिन जब पिता घर लौटे तो सब लोग यह देखकर अवाक् रह गये कि सचमुच पिता एक सफेद कुत्ता लाये थे। जिस समय घर में उपरोक्त बात चल रही थी, कुत्ता ठीक उसी समय खरीदा गया था। पिता से उसकी पुष्टि मिलने पर घर के सभी लोगों को बड़ा विस्मय हुआ कि जीन डिक्सन को इतनी दूर का आभास कैसे हुआ? क्या संसार में कुछ ऐसे तथ्य और सत्य भी है, जो पदार्थ की जटिलता से भी बढ़कर जटिल किन्तु व्यवहार से इतने सरल हो सकते है कि उन्हें विकसित करके मनुष्य अपने आपको जीवित चमत्कार सिद्ध कर सकता है।

जीन डिक्सन ने कहा-हाँ है क्यों नहीं, अपनी आत्मा ही वह तत्त्व और वस्तु है। वह सर्वव्यापी है, सब जग की देख सुन सकती है। विकार युक्त होने से हम अपने अन्तःकरण के प्रकाश में देख नहीं पाते, अन्यथा मनुष्य अपने आप और भविष्य को गणित की तरह निश्चित रूप से देख और जान सकता है।”

यह लड़की जो जीन डिक्सन के नाम से अमेरिका ही नहीं, सारे विश्व में विख्यात हुई, विश्व के रंगमंच पर घटित होने वाली अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाओं की पूर्णभिवक्ता हुई। उसने अपने अधिकांश भविष्य कथनों को सत्य करके यह दिखाने का प्रयत्न किया कि मनुष्य केवल रासायनिक उद्विज नहीं है। उसमें ऐसी अनेक विभूतियाँ है, जो अपनी अलौकिकता और आध्यात्मिकता का परिचय दे सकती है।

जीन डिक्सन में भविष्य दर्शन की जबर्दस्त प्रतिभा थी, और जिस तरह कोई महापुरुष तप और साधना शक्ति से अपना आत्म-बल बढ़ाकर उससे औरों का हित किया करते है, जीन डिक्सन भी हजारों लोगों का हित किया करती।

जीन डिक्सन अधिकांश भविष्य वाणियाँ ध्यानावस्थित होकर मन से करती थी पर कुछ दिन बाद उसे एक गिप्सी स्त्री ने एक गेंद (क्रिस्टल बाल) दी-उस गेंद का प्रयोग जीन डिक्सन अपने भविष्य दर्शन में करने लगी।

जीन डिक्सन छोटी अवस्था में ही बहुत विख्यात हो चुकी थी। एक बार एक असफल और निराश फिल्म अभिनेत्री उसके पास आई और पूछा-मुझे अपना अभिनय जारी रखना चाहिये अथवा एक छात्रावास चलाना चाहिए, दोनों में से  मेरे लिए क्या लाभदायक रहेगा।” जीन ने हँसते हुए कहा-बहन मनुष्य कार्यक्षेत्र में स्वतन्त्र है, परिश्रम से भाग्य की लकीरें भी बदली जा सकती है, तुम यदि परिश्रम करती रहो तो अपने क्षेत्र में ही पर्याप्त सफलता प्राप्त कर सकती हो, मेरी ड्रेसप नाम की उक्त अमेरिकी अभिनेत्री इन शब्दों से बहुत प्रभावित हुई और वह पुनः कला के क्षेत्र में निष्काम परिश्रम करने लगी, उसे उस क्षेत्र में बड़ी सफलता मिली। एक दिन वह अमेरिका की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री बनी।

एक अन्य अभिनेत्री कुमारी लोक्बार्ड भी उसके कुछ दिन बाद जीन डिक्सन से मिलने गई। उसे देखते ही जीन डिक्सन ने कहा-कुमारी लोम्बार्ड! आप अपनी कुशलता चाहती है तो 7 सप्ताह तक हवाई यात्रा न करें। यात्रा करना अनिवार्य ही हो तो कार या रेलगाड़ी से करें। तीन सप्ताह बाद कुमारी लोम्बार्ड ने सचमुच एक  हवाई यात्रा की। जहाज में आग लग जाने से वह जमीन में गिरकर ध्वस्त हो गया और कुमारी लोम्बार्ड भी उसी में मारी गई।

21 वर्ष की अवस्था में जीन डिक्सन का विवाह हुआ। उन्होंने एक दिन अपने पति को हवाई यात्रा करने से रोका और कहा आप रेल से यात्रा करे। उनके पति अपनी नवविवाहिता धर्मपत्नी के भविष्य-दर्शन की ख्याति से परिचित थे। जिस तरह श्रद्धालु शिष्य योग्य गुरुजनों के मार्ग-दर्शन से लाभ उठाते और अपने जीवन को उत्थान की ओर अग्रसर करने में हिचकिचाते नहीं उसी प्रकार उन्होंने भी अपना निश्चय बदल दिया और यात्रा रेलगाड़ी से कर ली। उस समय लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उसी शाम खबर मिली कि वह जहाज जिसमें जीन डिक्सन के पति यात्रा करने वाले थे, दुर्घटना का शिकार हो गया है। पति ने धर्मपत्नी जीन डिक्सन को उसके लिए हार्दिक धन्यवाद दिया।

सलग्रैव क्लब की एक चेरिटी पार्टी में जीन डिक्सन आमन्त्रित थी। प्रेसीडेन्ट ट्रूमैन तब वाइस प्रेसीडेन्ट थे। उन्होंने हँसी-हँसी में पूछा-आप तो बहुत ईश्वर भक्त है, क्या आप बता सकती है, मेरा भविष्य क्या है-आप बहुत शीघ्र प्रेसीडेन्ट हो जायेंगे” जीन डिक्सन ने हँसते हुए उत्तर दिया और सचमुच ट्रूमैन थोड़े ही दिन बाद राष्ट्रपति निर्वाचित हो गये। राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने स्वीकार किया-आध्यात्मिक शक्तियों की भौतिक शक्तियों से शक्तिशाली मानने के अतिरिक्त हमारे सामने और कोई चारा नहीं है।” जीन डिक्सन की इस विलक्षण पूर्व-दर्शन शक्ति पर सारे अमेरिका को ही आश्चर्य था। 1944 प्रेसीडेन्ट रूजवेल्ट ने एक दिन जीन डिक्सन को व्हाइट हाउस बुलाकर पूछा-मुझे अपना कार्य पूरा करने में कितना समय लगेगा।” डिक्सन ने गम्भीर होकर कहा-प्रेसीडेन्ट मुझे यह बताते हुए हार्दिक दुःख है कि आपका जीवन अब अधिक नहीं है।” रूजवेल्ट को तब हँसी आये बिना नहीं ही थी सचमुच उसके कुछ दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु भी जिस तरह जीन डिक्सन ने कहा था, मस्तिष्क की एक नस फट जाने के कारण हो गई।

जीन कहा करती थी कि आध्यात्मिक पुरुष किसी व्यक्ति के बारे में ही नहीं संसार के घटना चक्रों की भी जानकारी रखते है, जो अपनी इन क्षमताओं को यों ही सर्वसाधारण के आगे खोलते नहीं रहते उनकी अंतर्वर्ती दृष्टि का दिनों-दिन विकास ही होता जाता है और उनमें इतनी शक्ति आ जाती है कि भविष्य की घटनायें जान लेने के साथ उनमें हस्तक्षेप भी कर सकते है और किसी भी तरह का मनोवाँछित परिवर्तन भी ला सकते है। यह उस व्यक्ति के आत्म-विकास की मात्रा और क्षमता पर निर्भर है।

उक्त कथन की पुष्टि एक राज दरबार में हुई। भारतवर्ष के जनरल एजेन्ट श्री गिरजाशंकर बाजपेई ने एक भोज आमन्त्रित किया। कर्नल जबाबजादा शेरअली भी उस भोज में सम्मिलित थे और जीन डिक्सन भी। कर्नल नवाब शेरअली ने उनसे प्रश्न किया-मैडम क्या आप मेरे सम्बन्ध में भी कुछ भविष्य वाणी कर सकती है?” हाँ, हाँ जीन डिक्सन ने एक क्षण रुककर कहा-जून 1947 को भारतवर्ष का दो भागों में बँटवारा हो जायेगा, जिस भाग में मुसलमान रहेंगे आपको उसमें जाना पड़ेगा?”

2 जून 1947 की प्रातः कर्नल साहब ने जीन डिक्सन को फोन किया-मैडम आपकी भविष्यवाणी झूठी सिद्ध हुई है।” पर जीन ने बड़े आत्म-विश्वास के साथ कहा-महोदय घटनायें एक क्षण में होती है, अभी दिन भर पड़ा है। प्रतीक्षा कीजिए।” और सचमुच 3 जून 1947 को अमेरिका के अखबारों में बड़े-बड़े अक्षरों में छपा था-भारतवर्ष भारत और पाकिस्तान दो हिस्सों में बँट गया।” इसके साथ ही सेनाएँ भी बँटी और सचमुच कर्नल साहब का स्थानान्तरण पाकिस्तान में हो गया।

1947 की एक शाम जीन डिक्सन के मकान में ही राजनैतिक विषयों पर चर्चा होते-होते नई दिल्ली का नाम भी आया। जीन ने टोककर एकाएक कहा-लगता है गाँधी जी की हत्या कर दी जायेगी और उसमें छः माह से अधिक का समय नहीं लगेगा।” 30 जनवरी 1948 को सचमुच गाँधी जी की हत्या कर दी गई। इसी तरह 1963 में वे राष्ट्रपति केनेडी की हत्या के सम्बन्ध में बहुत चिन्तित रही। उन्होंने एक दिन कैनेडी के मित्र हैलो के पास जाकर भी समझाया कि आप उन्हें कम से कम अगले कुछ दिन की यात्राएँ रद्द करने को कहें। जिस कैनेडी के लिए उन्होंने 1956 में ही राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी कर दी थी उसकी मृत्यु की भविष्यवाणी करते हुए, जीन डिक्सन ने यह भी बताया कि हत्यारे के नाम का पहला अक्षर ‘ओ’ और आखिरी अक्षर ‘डी’ होगा। इसके बाद सब ने देखा कि कैनेडी की हत्या टैक्सास की यात्रा के दौरान ही कर दी गई और हत्यारे का नाम जैसा जीन ने कहा था ओस्वाल्ड ही था।

भविष्य दर्शन का अर्थ है कि हमने अपने आपको ईश्वरीय सम्पर्क में साध लिया है। परमात्मा सर्वज्ञ और सर्वव्यापी है। जो उससे जितने अंश में मिल जाता है, वह भी उतनी दूरी और समय की बात बिना किसी मंत्र की सहायता से जान सकता है, आध्यात्मिक शक्तियों में विश्वास का यह एक जबर्दस्त कारण है पर साधक के लिए यह उतना ही अहित कारक भी। यदि उसे यों ही सामान्य चर्चा का विषय बना लिया जाये तो लोक यश की कामना बढ़ती है और आत्म-शक्ति का पतन होने लगता है। इसीलिए भारतीय ग्रन्थों में यौगिक शक्तियों के प्रदर्शन की मनाही की गई है। चमत्कारों से किसी का मूल हित तो किया जा सकता है पर ऐसा नहीं, जिससे अहंकार बड़े, उससे साधक का विनाश तक हो सकता है। जीन डिक्सन जिनकी एक भी भविष्यवाणी कभी गलत नहीं होती थी, बाद के दिनों में उनकी कई बातें गलत हो जाती थी। ‘गिफ्ट आफ प्रोफेसी’ नामक पुस्तक में जीन डिक्सन की भविष्यवाणियों का इतिहास लिखने वाली श्रीमती रूथ मांटगुमरी ने भी यह बात स्वीकार की है कि बाद में उनकी 30 प्रतिशत तक भविष्यवाणियाँ गलत होते देखी गई।

तो भी उन्होंने भविष्यवाणियों की सत्यता सिद्ध कर यह दिखा दिया कि मनुष्य निरा भौतिक नहीं अधिकांश आध्यात्मिक शक्ति है ओर उस शक्ति का आत्म-कल्याण समाज और विश्व-कल्याण के लिए सर्वाधिक उपयोग किया जा सकता है। चन्द्रमा पर रूस का पहला अमानव अन्तरिक्ष यान पहुँचे, आइजनहावर के चुनाव में विजयी होने, चीन के कम्युनिस्ट देश में बदल जाने, नेहरू जी के बाद शास्त्री जी के प्रधानमंत्री होने की उनकी भविष्यवाणियाँ बहुत समय पहले हुई और सत्य सिद्ध हुई जिनसे यह प्रमाण मिलता है कि मनुष्य शरीर के भीतर सचमुच कोई ऐसी आध्यात्मिक सत्ता विद्यमान् है, जो त्रिकालज्ञ, सर्वज्ञ भी हो सकती है। अभी पिछले वर्ष ही उनकी पूर्व घोषित दो भविष्यवाणियाँ अमेरिका के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की विजय और चीन द्वारा रूसी क्षेत्र में आक्रमण की दो घटनायें सत्य सिद्ध हो चुकी है।

उनकी भविष्यवाणियों में आगे होने वाले महत्त्वपूर्ण परिवर्तन भी है। लाल चीन कीटाणु युद्ध (ड़ड़ड़ड़) प्रारम्भ करेगा, उससे एक बार विश्व में घोर संकट आयेंगे। विश्व के कुछ बड़े नेताओं की हत्या के षड्यन्त्र होंगे, अन्तरिक्ष यात्राओं में प्रगति होगी और उससे लोगों की भौतिकतावादी मान्यताओं में अन्तर आयेगा। लोग धर्म और ईश्वर पर अधिक विश्वास करने लगेंगे। उनकी यह भी भविष्यवाणी है कि-एशिया के किसी देश-संभवतः भारतवर्ष में एक नम्र ग्रामीण परिवार में एक महान् आत्मा ने जन्म ले लिया है, जो एक महान् आध्यात्मिक क्राँति का सूत्रपात, संचालन और नियन्त्रण करेगा। उसके पीछे क्रियाशील आत्माओं की शक्ति होगी, जो संसार की वर्तमान विकृत परिस्थितियों को बदल डालेगी।” यह विवरण विस्तार से “गिफ्ट आफ प्रोफेसी’ पुस्तक में दिये गये है।

भाग्य और भविष्य परमात्मा की जबर्दस्त शक्तियाँ है। मनुष्य की शक्ति इनके आगे छोटी है। पर वह अपने विवेक से यह निर्णय अवश्य ले सकता है कि उसका जन्म किस लिये हुआ है और वह ईश्वरीय विधान में किस हद तक सहायक हो सकता हैं यदि वह इसके लिए तैयार हो सके तो इसी जीवन में अनेक आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करता हुआ, प्रत्येक व्यक्ति आत्म-कल्याण का पथ प्रशस्त कर सकता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118