उदार गोल्डस्मिथ

January 1966

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

उदार ओलीवर गोल्डस्मिथ

“ऐसा बुद्धू लड़का मैंने और नहीं देखा।” शिक्षिका अपने विद्यार्थियों से कहा करती। पर वह बालक कभी किसी का प्रतिवाद नहीं करता था। विचारों की दुनिया में अकेला ही भ्रमण किया करता था। लोग उसकी प्रतिभा का कभी अन्दाज नहीं कर सके।

समय बीतने के साथ बालक नवयुवक हुआ। एक दिन परिस्थितिवश उसे अपना एक कविता संग्रह मजबूर होकर प्रकाशक को बेचना पड़ा। पैसे लेकर जब वह घर लौट रहा था रास्ते में पड़ा एक भिखारी भूख और ठण्ड से सिकुड़ता दिखाई दिया। युवक ने प्रकाशक से मिले सारे पैसे उसे दे दिये साथ ही अपने कपड़े भी उतार कर उसे पहना दिये। यह उदार युवक बाद में इंग्लैंड के प्रसिद्ध कवि ओलीवर गोल्डस्मिथ के नाम से विख्यात हुआ।



<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles