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January 1966

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यो यमर्थ प्रार्थयन्ते यदर्थ घटतेऽपि च। अवश्यं तदवाप्नोति न चेच्छ्रन्तो निवर्तते॥

जो जिस लक्ष्य को चाहता है और जिसके लिए प्रयत्न करता है, उसको वह अवश्य पा लेता है, यदि श्रान्त होकर उसको छोड़ नहीं देता है।


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