यो यमर्थ प्रार्थयन्ते यदर्थ घटतेऽपि च। अवश्यं तदवाप्नोति न चेच्छ्रन्तो निवर्तते॥
जो जिस लक्ष्य को चाहता है और जिसके लिए प्रयत्न करता है, उसको वह अवश्य पा लेता है, यदि श्रान्त होकर उसको छोड़ नहीं देता है।