आश्विन की नव-रात्रि
आश्विन मास की नवरात्रि ता. 18 सितम्बर से लेकर 26 सितम्बर तक चलेगी। इस वर्ष एक तिथि बढ़ी है। पर नवरात्रि तो पूरी 9 रातों में सम्पन्न होती है। इस पर तिथियों के घटने बढ़ने का असर नहीं पड़ता। इसलिए सदा की भाँति गायत्री प्रेमियों को अपना नवरात्रि अनुष्ठान इन्हीं तिथियों में पूरा करना चाहिए।
प्रतिदिन 27 माला गायत्री मंत्र का जप करने में प्रायः 3 घंटे प्रतिदिन लगते हैं। अस्वाद व्रत या शाकाहार फलाहार का उपवास, ब्रह्मचर्य पालन, भूमि या तख्त पर सोना, हजामत, कपड़े धोना आदि अपनी सेवाएँ आप करना, चमड़े की बनी वस्तुओं का उपयोग न करना, इन पाँच तपश्चर्याग्रों के साथ साधना करनी चाहिए। अन्त में 240 आहुतियों का हवन, कन्या भोजन, गायत्री चालीसा, गायत्री चित्र आदि का प्रसाद स्वरूप वितरण करते हुए पूर्णाहुति करनी चाहिए। जो साधक अपने अनुष्ठान की सूचना मथुरा देंगे उनकी साधना में रही हुई त्रुटियों का संरक्षण और दोष परिमार्जन यहाँ होता रहेगा।
प्रयत्न यह करना चाहिए कि जहाँ कई व्यक्ति नव रात्रि अनुष्ठान करने वाले हों वहाँ सब का सम्मिलित हवन सामूहिक समारोह आयोजन के साथ सम्पन्न हो। उपस्थित लोगों को गायत्री और यज्ञ का महत्व बताने वाले प्रवचन, भजन, कीर्तन आदि भी होने चाहिए। प्रत्येक सामूहिक आयोजन में “युग-निर्माण” का संकल्प दुहराया जाना चाहिए। जहाँ संभव हो वहाँ इन 9 दिनों में जीवन निर्माण सम्बन्धी आध्यात्मिक शिक्षण शिविर भी चलाने चाहिए। ऐसे आयोजनों के लिए नवरात्रि का पुण्य पर्व बहुत ही श्रेयष्कर है।
युग-निर्माण आन्दोलन की प्रगति
‘युग निर्माण योजना’ के अंतर्गत बताये गये 180 कार्यक्रमों को अखण्ड-ज्योति के हजारों पाठकों ने उत्साह-वर्धक तत्परता के साथ कार्यान्वित करना आरम्भ कर दिया है। उनके सब समाचारों को छापा जा सकना संभव नहीं। पर उस स्तंभ के अंतर्गत कुछ प्रेरणाप्रद विचार एवं दूसरों के लिए मार्ग-दर्शन सिद्ध होने वाले पत्र नियमित रूप से दिये जाते रहें ऐसी व्यवस्था की गई है।)