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January 1963

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कन्दुको भित्ति निक्षित्र इव प्रतिफलन्मुहुः। आप्तत्यात्मनि प्रायो दोषोऽन्यस्यचिकीषितः।

जैसे दीवाल पर फेंकी गेंद अपने ऊपर ही लौट कर आती है, वैसे ही दूसरे के लिए की हुई हानि की योजना भी अपना ही अनिष्ट करती है।

मेरे पुत्र को मुझ पर विश्वास था और इस कारण वह मेरे कन्धे पर बैठने को तैयार हो गया, और मैं उसे लेकर इस पार आ गया हूँ। हम सबका पिता ईश्वर है। जिस प्रकार से मेरे बेटे को मुझ पर विश्वास था ठीक उसी प्रकार से यदि आपका विश्वास उस परम पिता परमात्मा पर हो तो आप साँसारिक कठिनाइयों को ठीक उसी प्रकार पार कर सकते हैं जैसे मेरे बेटे ने मेरे कन्धों पर नाइग्रा प्रपात पार किया है। ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखिये और परिश्रम करिये। मुझे ईश्वर पर पूर्ण विश्वास था कि वह मेरी इस कठिनाई के समय सहायता करेगा और उसने सहायता की।”

--बृजभूषणलाल श्रीवास्तव

लघु कथायें-


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