जुगनू जब बैठा रहेगा तो उसकी पूँछ चमकेगी नहीं। उसकी चमक तो चलने के साथ ही दृष्टिगोचर होती है। मनुष्य का व्यक्तित्व उसके द्वारा किए जाने वाले कठोर परिश्रम के साथ ही चमकता है।