स्वप्नों के सम्बन्ध में अनेकों मान्यताएं हैं। प्रायः लोगों की धारणा है कि सोते समय जीवात्मा शरीर से बाहर निकल कर कहीं अन्यत्र चली जाती है और वहाँ के चित्र - विचित्र दृश्य देखती रहती है। निद्रा भंग होने के अवसर पर पुनः काया में प्रवेश कर जाती है। कुछ लोग इसे अदृश्य आत्माओं का संकेत मानते हैं तो कुछ स्वप्नों में भविष्य के संकेत, चेतावनी, जानकारी देने वाले सूत्रों की खोज करते हैं। इस प्रकार अनेकों मान्यताएँ, किम्वदंतियां, भ्रान्तियाँ जन सामान्य में प्रचलित हैं। हर कोई स्वप्नों के रहस्यवाद को जानना-समझना चाहता है कि आखिर वे है क्या? मूर्धन्य मनोविज्ञानवेत्ताओं ने इस संदर्भ में गहन शोध प्रयास किये हैं और बहुत कुछ उन्हें सफलता भी मिली है। उन्होंने चेतन मन के अतिरिक्त अचेतन मन को भी इसके लिए उत्तरदायी माना है।
मनोविज्ञानवेत्ताओं के अनुसार स्वप्न दो प्रकार के होते हैं--पहला सक्रिय- दूसरा निष्क्रिय। सक्रिय स्वप्न वे हैं जिनमें व्यक्ति स्वयं को किसी कार्य में संलग्न देखता है। दूसरे में व्यक्ति दर्शक की तरह घटनाओं का अवलोकन करता रहता है। स्वयं कोई हिस्सा नहीं लेता। इस स्थिति में मनुष्य को कभी-कभी नये विचार, नई प्रेरणाएँ, नये संकेत मिल जाते हैं। स्वयं के अथवा व्यक्ति विशेष-समूह आदि से सम्बन्धित भविष्य की जानकारियाँ भी कभी-कभी मन के पर्दे पर कौंध जाती हैं। पर अधिकाँश सपने निरर्थक ही होते हैं। इनमें कोई विशेष ऊर्जा तो नहीं व्यय होती किन्तु अचेतन मन तनावों से मुक्ति अवश्य पा लेता है। ऐसी इच्छाएँ, आकाँक्षाएँ - भावनाएँ जो चेतन मन पर सवारी गांठें रहती हैं, परन्तु किन्हीं कारणों से उनकी पूर्ति नहीं हो पाती, अचेतन मन की गहरी पर्तों में चली जाती हैं। स्वप्न काल में यही विभिन्न रूप धारण कर प्रकट होती और मन को सन्तुष्टि प्रदान करती हैं।
स्वप्न अस्त-व्यस्त, अस्थिर क्यों दिखाई देते हैं? इसकी विसंगति के पीछे भी कारण हैं। अचेतन मनःक्षेत्र में भूतकाल की एवं अनेकानेक जन्मों की भूली बिसरी, प्रिय, अप्रिय, सार्थक निरर्थक विस्मृतियाँ दबी पड़ी रहती हैं। इनमें जो भी हाथ लग जाती है वह स्मृति पटल पर अंकित हो जाती है। उसे ही अचेतन देख लेता है। अचेतन की कुछ अपनी इच्छाएँ भी होती हैं, जिन्हें अनेक जन्मों की संग्रही संस्कार पूँजी भी कहा जा सकता है। उनमें से अधिकाँश अतृप्त पड़ी रहती हैं। तृप्ति तो थोड़े ही प्रसंगों में मिल पाती है। परिस्थितियाँ हर इच्छा की पूर्ति के उपयुक्त कहाँ होती हैं? ऐसी दशा में अतृप्ततम मन कल्पनाएँ ही करता रहता है। वही घटनाएँ रात्रि स्वप्नों का आधार बन जाया करती हैं। जैसे ही चेतन मन की पकड़ ढीली पड़ती है कि अचेतन में दबी कल्पनाएँ उभरने लगती हैं और स्वप्नों के रूप में दिखाई देने लगती हैं।
मनःशास्त्रियों ने अचेतन मन की क्षमता को असीम बताया है। उनका कहना है कि चेतन मन और बुद्धि संस्थान उसके आगे नगण्य तुच्छ हैं। मस्तिष्क विज्ञानी भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि मन 88 प्रतिशत भाग अचेतन है और 12 प्रतिशत चेतन। चेतन मस्तिष्क भी पूर्ण चैतन्यता के साथ क्रियाशील कहाँ रहता है? सामान्य व्यक्ति अपने अधिकाँश क्रिया-कलाप अर्धचेतन अवस्था में करते हैं। ऐसी दशा में अचेतन की क्रियाओं का ज्ञान कैसे संभव हो सकता है? हमें इसकी जानकारी भले ही न रहे पर अचेतन अपने कर्तव्यों से विमुख नहीं होता। वह स्वप्न संकेतों द्वारा अपनी जानकारी सम्प्रेषित करता रहता है। इस सम्बन्ध में वह उदार है। अनुभवी चिकित्सा विज्ञानियों का मत है कि सामान्यतः छोटे-मोटे रोगों की सूचना एक दो दिन पहले ही रोगी को सपने में मिल जाती है। अधिक गंभीर रोगों--जैसे-मिरगी, यक्ष्मा, पक्षाघात आदि के पूर्वाभास दो से तीन माह पूर्व स्वप्न संकेतों से मिल जाते हैं। पर प्रायः लोग इन चेतावनियों की उपेक्षा कर देते हैं।
सिगमंड फ्रायड जैसे पाश्चात्य मनोविज्ञानी स्वप्नों को भले ही अवचेतन मस्तिष्क काल्पनिक उड़ानें बताते रहे हों। पर कुछ सपने ऐसे होते हैं जिनमें किन्हीं लोगों के भविष्य में घटित होने वाली अनेक घटनाओं के पूर्व संदेश इतने सच्चे निकलते हैं मानो वह सब कुछ अदृश्य जगत में कहीं पहले ही सृजित हो चुके हों। वैज्ञानिकों के पास तो अभी इसका कोई उत्तर नहीं है परन्तु भारतीय आर्षग्रन्थों जैसे-अथर्ववेद, देवज्ञ कल्पदुम, सुश्रुत संहिता, अग्नि पुराण आदि में इसका सुविस्तृत उल्लेख है। उसके अनुसार अचेतन का सम्बन्ध विराट चेतना से रहता है। अतः घटित-अघटित घटनाओं का विवरण शीशे पर पड़ने वाले दृश्यों की तरह उस पर अंकित होता रहता है और यदाकदा उसके संकेत सपनों के माध्यम से मिलते रहते हैं। उपनिषदों के अनुसार मन जिस भी क्षण आत्मा से संबंध स्थापित कर लेता है, उसे भूत, भविष्य, वर्तमान की काल, सीमा और स्थान की मर्यादा से बाहर की घटनाएँ एवं वस्तुएँ दीखने लगती हैं। स्वप्न संकेत उसी का एक छोटा उदाहरण है।
विख्यात वैज्ञानिक फ्रैंक एडवर्ड ने अपनी कृति-”स्टे्रंज वर्ल्ड” में ऐसी अनेकों रोचक घटनाओं का वर्णन किया है जो भविष्य दर्शन सम्बन्धी सार्थक स्वप्नों की पुष्टि करती हैं। इनमें से एक घटना ब्रिटिश जनरल स्टाफ के अध्यक्ष एवं नार्थ डाउन आयरलैण्ड के साँसद सर हैनरी विल्सन से सम्बन्धित है। लन्दन की एक संभ्रांत महिला लेडी लंडनबरी ने एक रात टैक्सी में प्रवेश कर रहें हैं। पिछली सीट पर बैठे वह जैसे ही उसके आवास पर पहुँचते हैं वैसे ही कुछ हमलावरों ने उन पर गोली चला दी और वे लहूलुहान हो गये। सपना इतना भयानक था जिसे देखकर लंडनबरी चीख उठीं। चिल्लाहट सुनकर परिवार के लोग निकट जा पहुँचे और घटनाक्रम सुनकर उस पर हँसने लगे। इस घटना को सुनने वाले अन्यान्य व्यक्तियों ने भी उसे अंधविश्वास कहकर टाल दिया। किन्तु दसवें दिन जब वही घटना उक्त सैनिक अफसर के साथ ज्यों की त्यों घटित हुई तो सभी अवाक् रह गये।
कभी-कभी ऐसे भी अवसर देखने को मिलते हैं कि स्वप्न व्यक्ति के लिए बड़े ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। घटना अप्रैल 1956 की है। ओहिओ के जूलियस डिटमैन के मालंगोदाम के पास ‘क्लक्लैण्ड पार्केमेटिक कारपोरेशन’ पश्चात् डिटमैन ने एक स्वप्न देखा कि निगम द्वारा निर्मित पार्किंग गेरेज अचानक ही ढह गया है और उसके मलवे से डिटमैन का स्टोर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। डिटमैन का स्टोर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। डिटमैन ने स्वप्न संकेतों को समझकर बीमा कम्पनी से एक लाख बीस हजार डालर की पाँलिसी 6 अप्रैल 1956 शुक्रवार को करा ली। दूसरे ही दिन शनिवार को प्रातः 7 बजे पार्किंग इमारत धंसकने लगी और डिटमैन के स्टोर के ऊपर आ गिरी जिससे वह विनष्ट हो गया। बीमा कम्पनी ने उसकी सुरक्षित धनराशि का भुगतान किया भी साथ ही उसकी इस दूरदर्शन की क्षमता पर आश्चर्य व्यक्त किया।
एक अन्य घटना में शेफफील्ड, इंग्लैंड की श्रीमती बिनी विलिन्कसन एक दिन दोपहर को झपकी सी ले ही रहीं थी कि स्वप्न उसके मानस पटल पर मँडराने लगे। उसे अपने घर के सामने वाले दरवाजे पर भारी धमाके जैसी आवाज सुनाई दी। जैसे ही उसने दरवाजा खोला कि क्रोधातुर एक महिला खड़ी मिली जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। उस अजनबी महिला ने विलिन्कसन को बताया कि तुम्हारा पत एक तख्ते से गिर कर बुरी तरह घायल हो चुका है और तुम्हारी सेवा-सहायता की प्रतीक्षा कर रहा है। विलिन्कसन बिस्तर से उठी और स्वप्न की घटना से भयभीत होकर अपने पति गोर्डन विलिन्कसन को फोन करने लगी तो प्रत्युत्तर में यही सुनने को मिला कि उनका पति एक तख्ते से गिरकर बुरी तरह घायल हो गया था काफी उपाय-उपचार करने के बावजूद भी प्राण नहीं बच सके।
इसी तरह की एक घटना मई 1937 की है। ईस्ट औरेंज, न्यूजर्सी की श्रीमती अर्नेस्ट टाप ने स्वप्न देखा कि उसके पति को किसी हत्यारे ने चाकू मार कर घायल कर दिया है। प्रातः जगकर उसने यह वृतान्त अपने पति को ही कह सुनाया।
लेकिन पति ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उपेक्षा-उपहास और करने लगा। 16 मई 1938 को जब अर्नेस्ट टाप जलयान से यात्रा पर निकला तो ठीक वैसा ही सब कुछ उसके साथ घटित हुआ जैसा कि उसकी पत्नी ने बताया था।
अमेरिका में लोग बीच की श्रीमती बालिक ने 21 जनवरी 1963 को एक बड़ा ही वीभत्स स्वप्न देखा कि उसके पति का वायुयान सैन-फ्राँसिस्को इंटरनेशनल एयर पोर्ट पर टकरा कर क्षतिग्रस्त हो गया है। इसकी सूचना श्रीमती बालिक ने लोग बीच इन्डिपेन्डेन्ट प्रेस को दी। 4 फरवरी 1963 को प्रेस को पता चला कि उसके पति के साथ ठीक वैसा ही घटित हुआ है जैसा कि पत्नी ने स्वप्न में देखा था। प्रेस ने उस घटना को समाचार पत्र के मुख पृष्ठ पर “मेट्स प्लेन क्रैश सीन इन वाइव्स ड्रीम” नाम से प्रकाशित किया। लोग बीच की सभी समाचार एजेन्सियों ने स्वप्न के इस अलौकिक रहस्य काक सर्वसम्मति से स्वीकृत किया और छापा भी।
सर ओलिवरलॉज ने अपनी पुस्तक “सरवाइबल आफ मैन” में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि अचेतन मन के माध्यम से हम स्वप्नावस्था में अलौकिक और भविष्य में होने वाली घटनाओं को देखते और जान लेते हैं। उन्होंने लिखा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को अपने अधिकांश कार्यों की प्रेरणा सपनों के माध्यम से मिला करती थी। जिस समय दास प्रथा के उन्मूलन का उनका आन्दोलन तीव्र हो रहा था और उन पर उसे बंद कर देने का चारों ओर से दबाव डाला जा रहा था। उन्हें बार-बार एक ही स्वप्न दिखाई देता जिसमें उन्हें यही सन्देश मिलता कि अपने दास प्रथा उन्मूलन के निश्चय को वे न बदलें। यह कुप्रथा अवश्य समाप्त होकर रहेगी। इसकी पुष्टि लेखक राबर्ट जेम्स लीज ने भी अपनी कृति में की है।
एक अन्य स्वप्न में लिंकन ने अपने भावी राष्ट्रपति चुने जाने का भी पूर्वाभ्यास पा लिया था। इतना ही नहीं अपना हत्या किये जाने के दृश्य भी उन्हें दिख गये थे। परमहंस परिव्राजकोपनिषद् में इस प्रकार के स्वप्नों को “तेजस स्वप्न” कहा गया है जिसमें भविष्य के संकेत छिपे रहते हैं। लन्दन स्थित इंडिया हाउस की लाइब्रेरी में टीपू सुलतान की एक डायरी सुरक्षित है जिसमें अंग्रेजों को बुरी तरह परास्त करने वाले इस महान योद्धा के विचार और स्वप्न संकलित हैं। इन्हीं स्वप्न संकेतों के आधार पर उनकी योजनायें बनती और क्रियान्वित होती थीं। इसमें उन्हें सफलता भी मिलती रही।
उपरोक्त घटनाएँ बताती हैं कि स्वप्न मानव जीवन की एक महत्वपूर्ण अवस्था है। यदि मन शुद्ध, सात्विक, निर्मल और परिष्कृत हो ता सूक्ष्म जगत के स्पन्दनों को पकड़ने में वह उतना ही सक्षम होगा। इसके लिए जहाँ तक संभव हो, चेतन मन को वासनाओं, तृष्णाओं और अनावश्यक कुकल्पनाओं से बचाया जाना चाहिए। जिससे अतृप्त आकाँक्षाऐं अचेतन में जाकर डेरा न डाल सकें। चिन्तन, मनन, विचार-व्यवहार में सरलता उत्कृष्टता का समावेश होने पर जीवन भी परिष्कृत बनेगा साथ ही मन भी अनगढ़ और कुसंस्कारी न रह सकेगा। अध्यात्म उपचारों का अवलम्बन इसमें सर्वोत्तम परिणाम प्रस्तुत करता है। फिर सार्थक स्वप्न भी अधिक मात्रा में देखे जा सकेंगे। वैसे भी जब भी ऐसे संकेत मिलें उनसे प्रेरणा लें व जीवन की रीति-नीति में उन प्रेरणाओं को समाविष्ट कर उनसे लाभ उठाने का प्रयास करें।