कुछ लोग स्वल्प साधनों में संतोष पूर्वक जीते और कुछ के पास पर्याप्त साधन होते हुए भी अभाव की शिकायत करते। दोनों ही प्रकार के लोग उस सत्संग में आया करते। किसकी बात यही है यह सिद्ध करने के लिए प्रवक्ता विद्वान ने आया गिलास पानी से भरा और उसे दर्शकों को दिखाया।
कुछ लोग कहते थे आधा भरा है। कुछ लोग कहते आधा खाली है।
विद्वान ने समझाया कि जो अभावों को देखता है ओर भरे पूरे सम्पन्नों से अपनी तुलना करता है उसे अपनी स्थिति अभावग्रस्तों जैसी दिखती है। पर जो उपलब्ध साधनों से भी संतोष कर लेत और मितव्ययतापूर्वक काम चला लेते हैं उन्हें अपनी स्थिति भरे पूरे जैसी लगती है। यह दृष्टिकोण का अन्तर मात्र है।