सभी साधक व उनके पच्चीस भागीदार साथी अपना पंजीकरण एक परिपत्र पर अपना नाम, पता, साथियों की संख्या व उनके नाम पते लिखकर शाँतिकुँज भेजकर करालें। यह कार्य पिछली गायत्री जयंती से आरंभ हो चुका है। भावी पत्र व्यवहार भी इसी आधार पर ही चलेगा