छाया को पकड़ने दौड़ा (Kahani)

May 1988

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एक आदमी छाया को पकड़ने दौड़ा जा रहा है। सूरज पीछे होने के कारण छाया भी पकड़ने वाले के आगे ही आती जा रही थी।

एक बुद्धिमान ने उससे ठहरने को कहा और समझाया प्रकाश की दिशा में मुँह करके चलो। छाया तुम्हारे पीछे-पीछे चलने लगेगी। ऐसा ही हुआ भी।

हम माया के पीछे दौड़ते है। भगवान की ओर पीठ कर लेते है तो सफलता दूर भागती जाती है पर जब हम अपना रवैया बदल लेते है। भगवान की ओर मुँह करके चलते हैं तो आदर्शवादी के पीछे-पीछे सफलता भागती चली आती है।


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