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July 1983

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अज्ञान हृदय ग्रन्थेर्निःशेष विलयस्तदा। समाधिना विकल्पेन यदाद्वैतात्मदर्शनम्॥ - विवेक. 354

हृदय की अज्ञान रूपी ग्रन्थि का सर्वथा नाश तब होता है जब निर्विकल्पक समाधि द्वारा अद्वैत आत्म स्वरूप का साक्षात्कार कर लिया जाता है।


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