अतीव सूक्ष्मं परमात्मतत्वं न स्थूल दृष्ट्या प्रत्तिपत्तु मर्हति। समाधिनात्यन्त सुसूक्ष्मवृत्या ज्ञातव्यमार्यैरति शुद्धबुद्धिभिः॥ -विवेक. 361
अर्थात्- अति सूक्ष्मातिसूक्ष्म परमात्म-तत्व का दर्शन स्थूल दृष्टि से किया जाना शक्य नहीं है। अतएव सूक्ष्म बुद्धि वाले सज्जनों को समाधि द्वारा अति सूक्ष्म वृत्ति से उसे जानना चाहिए।