महाभारत समाप्त हो चुका था। उस क्षेत्र को पार करते हुए शमीक ऋषि अपनी शिष्य-मण्डली के साथ कहीं जा रहे थे। शिष्यों ने उस क्षेत्र में हाथी के गले से टूटा घण्टा पड़ा पाया। उन्होंने उत्सुकता पूर्वक उसे उठाया तो नीचे एक पक्षी का बच्चा अण्डा फोड़कर उसी समय बाहर निकलते देखा। शिष्य आश्चर्य चकित थे और उतने घमासान के बीच एक अण्डे को सुरक्षित रखने में- भगवान की कृपा को सराह रहे थे।
शमीक ने उस यशगाथा को रोकते हुए कहा- “भगवान का काम समाप्त हो चुका अब मनुष्य का काम आरम्भ होता है। इस बच्चे को ले चलो और किसी ऐसे आश्रम में रखो जिससे वह जीवित रह सके।”