एक बार महात्मा गाँधी अपने निकटतम अनुयायी आनन्दस्वामी के साथ किसी धनिक के यहाँ ठहरे। वहाँ आनन्दस्वामी की उस धनिक के रसोइये से किसी बात पर लड़ाई हो गयी और बातचीत के दौरान आनन्दस्वामी ने रसोइये को चांटा मार दिया।
गाँधी जी ने जब यह सुना तो बोले- ‘यदि बराबर वाले किसी व्यक्ति के साथ यह बात होती तो तुम उसे चांटा न लगाते। तुमने रसोइये को नौकर समझा, अपने से छोटा समझा। इसलिए ऐसा व्यवहार किया। तुम्हें अभी तुरन्त जाकर उससे क्षमा माँगनी चाहिए।’
आनन्दस्वामी क्षमा माँगने को तैयार न हुए तो तुरन्त गाँधी जी ने अपना निर्णय सुना दिया- ‘यदि तुम अन्याय करते हो तो मेरे साथ नहीं रह सकते।’
और आनन्दस्वामी को रसोइये से क्षमा माँगनी पड़ी।