धन फलदायक नहीं होता और न नाम, यश फलदायक नहीं होता और न विद्या। प्रेम ही सर्वत्र फलदायक है, चरित्र ही कठिनाइयों की संगीन दीवारों को तोड़कर अपना रास्ता बना लेता है।
-स्वामी विवेकानन्द