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August 1981

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धन फलदायक नहीं होता और न नाम, यश फलदायक नहीं होता और न विद्या। प्रेम ही सर्वत्र फलदायक है, चरित्र ही कठिनाइयों की संगीन दीवारों को तोड़कर अपना रास्ता बना लेता है।

-स्वामी विवेकानन्द


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