मन की विलक्षण क्षमता

November 1980

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मनुश्य का मन एक अबूझ पहेली है। उसमें अगणित चमत्कारी क्षमताएं विद्यमान हैं और आर्श्चय की बात यह है कि वे सब क्षमताएं अपने के भीतर विद्यमान होने के उपरान्त भी उन सबका जान पाना और उपयोग कर पाना असम्भव नहीं, तो असम्भव जैसा अवश्य है। मन की विलक्षण ओर चमत्कारी शक्ति के प्रमाण आयेदिन यत्र-तत्र मिलते रहते हैं। इसके प्रमाण और घटनाओं से प्राप्त होने वाले निर्ष्कष के रुप् में इन दिनों हडसन द्वारा रचित ‘ला आफ साइकिक फिनोमिना’ पुस्तक बहुत चर्चित है।

पुस्तक में लेखक ने अपना एक निजी अनुभव लिखते हुए बताया है -

“वाशिंगटन के प्रो. कार्पेण्टर ने मेंरे सामने एक युवा आदमी को मोह निद्रित किया उसक समय जितने लोग एकत्र हुए थे वे सब विद्वान थे और जिस युवक पर प्रयोग किया गया था वह भी किसी विख्यात कालेज का पदवीधर था। साथ ही उसका दर्शनशास्त्र का अध्ययन भी अच्छाखासा था, उसके विचार उदार थे और भूत पुरुषों की आत्माओं को किसी साधन से बुलवा कर उनसे सम्भाषण करने की बात को वह बिल्कुल असम्भव मानता था। वह युवक ग्रीक दार्शनिकों के प्रति बहुत आदर और प्रेम रखता था। प्रो. कापेण्टर को यह बात मालूम थी इसलिए उक्त युक को मोह निद्रित करने के पश्चात उन्होंने उससे पूछा -

“क्या मैं सुकरात से तुम्हारी भेंट करा दूँ।”

उसने कहा, “हाँ यदि सुकरात जीवित हों और उनसे मेरी यहाँ भेंट हो जाय तो मैं अपना अहोभाग्य समझूँगा। इस पर कार्पेण्टर ने कहा सुकरात मर चुके हैं, परंतु उनकी आत्मा से मैं तुम्हारी भेंट करा सकता हूँ। देखो तुम्हारे सामने ही सुकरात की आत्मा मौजूद है।

यह सुनते ही वह युवक उस ओर देखने लगा लगा जिस ओर कार्पेण्टर ने उंगली का इशारा किया था। उक्त युवक ने किंचित भय के साथ कुछ प्रश्न किये। कछ समय पश्चात जब उसका साहस बढ़ा तब लगभग दो घण्टे तक उसने सुकरात की आत्मा से अनेक गहन प्रश्नों पर चर्चा की ओर सुकरात की आत्मा से मिलने वाले सभी जवाब उसने प्रो. कार्पेण्टर को समझाकर कहे। उनके सम्भाषण में सुकरात जैसे श्रेष्ठ दार्शनिक के अनुरुप विचार तथा वैसी ही गंभीर भाषा भी सुनाई दी। वह समस्त श्रोताओं को यही भासित हुआ मानों सुकरात ही उनके सम्मुख भाषण दे रहा हो।

इस पर कदाचित कोई यह कहे कि सम्भव है इसके समाधान हेतु एक और बात मि. हडसन के ग्रन्थ से नीचे दी जाती है -

प्रो. कार्पेण्टर ने उक्त युवक से कहा कि एक बहुभाषी विद्वान एवं दर्शन पराँगत सूअर से मैं तुम्हारी भेंट करा रहा हूँ यह सूअर पूर्व जन्म में हिन्दू पण्डित था ओर अपने कर्मों के अनुसार उसे यह योनि प्राप्त हुई है अपने पूर्व जन्म के संस्कारों तथा प्राप्त किये हुए ज्ञान की इसे पूर्ण स्मृति है। प्रो. कार्पेण्टर की इस सूचना को पाकर उक्त युवक का सम्भाषण उस कल्पनाजन्य सूअर से होने लगा और हिन्दू-धर्म तथा पुनर्जन्म सम्बंधी सिद्धाँतों पर उस सूअर से लम्बा एवं विद्वतापूर्व भाषण दिया।

हडसन ने अपनी पुस्तक में इस तरह के ढ़ेरों प्रसंग व उदाहरण देकर यह सिद्ध किया है कि प्रयत्नपूर्वक मन की विलक्षण क्षमताओं को जागृत किया जा सकता है और उनसे लाभ उठा कर चमत्कारी व सिद्ध संत स्तर का बना जा सकता है।


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