एक बार गौतम बुद्ध राजपथ को छोड़कर कंटीली पगदण्डी पर चल रहे थे। लोगों को यह देखकर आर्श्चय हुआ। कारण पूछने पर भगवान बुद्ध ने बताया-
‘मनुष्यों! इस पगदण्डी में सुख-दुःख दोनों ही भोगने पड़ते हैं। अतएव यह प्रेरणा देती है कि सुखों से अधिक आशक्ति रखने और दुःखों में अधिक उद्ग्नि होने से जीवन यात्रा बड़ी दूर्भर हो जाती है। सुख-दुःख दोनों में समभाव रखने से जीवन यात्रा सुगम बनती है। अतएव मैं मात्र सुखों वाले राजपथ पर न बढ़कर पगदण्डी पर चल रहा हूँ।