एक राजकुमार बड़ा ही उद्दण्ड था । प्रजा को वह विविध प्रकार से सताया करता था । उसके व्यवहार से तंग आकर उसके पिता उसे गौतम बुद्ध के पास ले गये । बुद्ध ने उसे नीम के पौधे का एक पत्ता देते हुए कहा-राजकुमार इसे चख कर तो देखो ।’
राजकुमार ने उसे मुहँ में रखते ही थूक डाला और यह कहते हुए नीम के पौधे को जड़ से उखाड़ डाला इस कडुवे जहर को बढ़ने देने की कोई आवश्यकता नहीं है ।’
महात्मा बुद्ध बोले-’राजकुमार तुम्हारे कटु व्यवहार से पीड़ित जनता भी तुम्हारे साथ यही व्यवहार कर सकती है । व्यक्ति रुप के नहीं, गुणों के उपासक होते है । तुम जनता का विश्वास और सम्मान चाहते हो तो उदार और परोपकारी बनो ।,
महात्मा बुद्ध के उपदेश ने राजकुमार का इतना प्रभावित किया कि उन्होंने उसी दिन से दुराचरण त्याग दिया ।