गायत्री-विद्या के अमूल्य ग्रन्थ-रत्न

December 1980

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हमारे ग्रन्थों की खोज, अगणित गायत्री उपासकों के सहयोग एवं चालीस वर्ष की व्यक्तिगत साधन के फलस्वरुप् विनिर्मित इन ग्रन्थों की एक-एक पंक्ति अनुभव के आधार पर लिखी गई है। गायत्री-साधना से समुचित लाभ उठानेके इच्छुकों के लिए यह साहित्य अनुभव गुरु के समान पथ-प्रदर्शन करता है। इस विषय की सभी जिज्ञासाओं तथा शंकाओं का इन पुस्तकों में समुचित समाधान मौजुद है।

(1) गायत्री माहविज्ञान (तीनों भाग)22)50

प्रथम भाग-गायत्री विद्या का वैज्ञानिक आधार गुप्त शक्तियों रहस्य, नित्य अपासना, अनुष्ठान विधि, गायत्री सम्बन्धी शंकाओं का समाधान, अनेक कष्टों का निवारण एवं अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिए लगायें जाने वाले बीज मन्त्रों का साधना-विधान, आत्तम-साक्षात्कार एवं ऋद्धि-सिद्धियों का मार्ग, स्त्रियों की विशेष उपासना विधियाँ आदि अनेक महत्वपूर्ण विषयों का सुबोध ढंग सें प्रतिपादन। मूल्य-7)50 सजिल्द।

द्वितीय भाग-गायत्री द्वारा वामार्गीय तान्त्रिक विधान के अनुसार मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, मुद्रा आतिद के अनेक विधानों का वर्णन तथा गायत्री-गीता, गायत्री-स्मृति, गायत्री-संहितागायत्री-उपनिषद,गायत्री-रामायण, गायत्री-हृदय, गायत्री-सहस्त्रनामादि का संग्रह मू.-7)50 सजिल्द।

तृतीय भाग- गायत्री महाम-त्र द्वारा 24 प्रकार के योगाभ्याओं के साधन विषयक विधान। जन-योग, प्राण-योग, शब्द-योग, नाद-योग, हठयोग, कुण्डलिनी योग, षटचक्र वेधन की साधनायें तथा अन्नमय कोष, मनोमय कोष को सिद्ध करने के रहस्य मार्ग का दिर्ग्दशन मू-7)50 सजिल्द।

(2)- गायत्री यज्ञ विधान दोनों भाग मू. 6)

प्रथम भाग-गायत्री यज्ञ का विधान, लाभ एवं महत्व तर्क, प्रमाण व शास्त्रीय विधान के आधार पर अत्यन्त खोज पूर्ण वर्णन मू. 3)

द्वितीय भाग- (सामूहिक गायत्री हवन) गायत्री हवन करने की शास्त्रोक्त विधि प्रक्रिया, जल-यात्रा, मण्डप प्रवेश, वेदी-पूजन, कुशकण्डिका, अग्निस्थानपन, आहुति-मन्त्र पूर्णाहुति, वसोधारा, घृतावघ्राण, भस्मधारण, अभिसिंचन आदि का पूरा विधि-विधान समझकर बडे़ यज्ञों का आचार्यतव किया जा सकता है। मू.-3)

3- गायत्री चित्रावली-

विविध प्रयोजनों के लिए गायत्री माता के ध्यान करने योग्य आर्ट पेपर पर छपे 24 तिरंगे चित्र तथा सरल भाषा में उनका महत्व प्रतिपादन। मू. 4)

4- गायत्री मन्त्रार्थ-

अनेक ग्रन्थों मे, अनेक ऋषियों द्वारा गायत्री महामन्त्र के अनेक प्रकार के किए हुए अर्थो का संग्रह। सक्षम राज रावण का किया हुआ अर्थ भी इसमें है। मू. 3)50

5-गायत्री सम्बन्धी छोटा प्रचार साहित्य

1-छोटा गायत्री ट्रैक्ट साहित्य सैट-आकर्षक कवरों वाले 32-32 पृष्ठ के गायत्री टैक्ट जिनमें गायत्री उपासना तथा उसकी वैज्ञानिकता पर विस्तृत रुप् से प्रकाश डाला गया है। प्रचार की दृष्टि इन टैक्टारें का महत्व असाधरण है। प्रत्येंक टैक्ट का मू. 12) टै्रक्ओं के नाम इस प्रकार है-

गायत्री का स्वरुप और रहस्य। 2. गायत्री की गुप्तशक्ति। 3. सर्व सुलभ गायत्री साधना। 4. गायत्री का शक्तिस्त्रो-सविता देवता। 5. गायत्री और उसकी प्राण प्रक्रिया। 6. गायत्री पंचमुखी और एकमुखी। 7. गायत्री की पंचविधी दैनिक साधना। 8. गायत्री की विशेष साधना। 9. गायत्री मन्त्र की विलक्षण शक्ति। 10. गायत्री की असंख्य शक्तियाँ। 11. गायत्री की सिद्धियाँ। 12. गायत्री शक्ति का नारी स्वरुप। 13. स्त्रियों का गायत्री अधिकार। 14. गायत्री और यज्ञोंपवीत। 15. गायत्री और यज्ञ का सम्बन्ध।

(ब) संक्षिप्त गायत्री हवन विधि मू. 60 पैसे।

(स) दैनिक गायत्री साधना मू. 60 पैसे।

(द) गायत्री चालीसा मू.10 पैसे।

*समाप्त*


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