स्मृति अनुदान की आवश्यकता पड़ गई

October 1979

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क्रुद्ध प्रकृति के मदोन्मत्त हाथी की विनाश लीलाएँ रोकने, सूक्ष्म वातावरण की विषाक्तता को घटाने एवं नये युग के प्रज्ञा-प्रकाश को सुविस्तृत करने के तीनों प्रयत्न इन दिनों तेजी से चल पड़े हैं। जागृत आत्माओं ने नव सृजन की मुहीम नये उत्साह ओर नये साहस के साथ सँभाली है। युग परिवर्तन की इस पुण्य वेला में लोक मानस को दिशा देने और सृजन शिल्पियों को प्रशिक्षित करने का नया उत्तरदायित्व उनके कंधों पर आया है।

इस अभिनव प्रयोजन की पूर्ति के लिए नव प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से आवश्यक हो गया है। इसके लिए एक साथ आठ स्तर के प्रशिक्षण सत्रों का प्रबन्ध शान्ति कुँज में तत्काल करना पड़ा है। गायत्री नगर इस उ....श्य के लिए बनाया जा रहा है। आवश्यकताओं को देखते हुए इस निर्माण को छोटा रखने से काम नहीं बना, अब उसे अधिक बड़ा और विस्तृत किया जा रहा है। निर्माण में तेजी भी लाई जा रही है। नये शिविर गायत्री नगर में ही चलने हैं।

निर्माण कार्य में इन दिनों, आर्थिक अवरोध उत्पन्न हो गया है। इस निमित्त ‘स्मृति अनुदान’ के रूप में एक नया प्रस्ताव समर्थ परिजनों के सामने रखा गया है। एक कमरा, बरामदा, रसोई वाले कक्ष की लागत सात हजार रुपया देने वाले का, अथवा उसके किसी पूर्वज की स्मृति का पत्थर लगा दिया जायगा। पूरे फ्लैट में दो कमरे, दो बरामदे, रसोई, फ्लैश, बाथरूम, स्टोर हैं। इस पूरे फ्लैट पर पत्थर लगाने वालों को, ग्यारह हजार रुपये देने होंगे। स्मृति स्थिर रखने, युग सृजन में योगदान का पुण्य अर्जित करने का यह अलभ्य अवसर है। जिस स्तर के जितनी संख्या में विज्ञ-व्यक्ति गायत्री नगर में पहुँचेंगे और इस अनुदान को सराहेंगे उसे देखते हुए, इतनी उदारता दिखाना हर दृष्टि से श्रेयस्कर है।

जो यह प्रबन्ध कर सकें या दूसरों से करा सके वे इसके लिए इन्हीं दिनों प्रयत्न करलें बसन्त पर्व तक यह निर्माण कार्य पूरा करा देने का विचार बना है, उसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव रखा और नया अवसर दिया गया है।


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