मदिरा के व्यापारी मुल्कराज की दुकान पर धरना देने वालों की भीड़ के साथ उनकी पत्नी भी थी। पुलिस जिन दस बारह महिलाओं को गिरफ्तार कर के ले गई उसमें भी वे थीं।
माता के जेल चले जाने के बाद चौदह वर्षीय पुत्री शीला ने भोजन बना कर पिता के समक्ष परोसा। कौर गले के नीचे न उतरा। हृदय भर आया। जैसे-तैसे एक रोटी पानी के सहारे नीचे उतारी पुत्र से कहा “रोटी खालो बेटा” उसने कहा “मुझे भूख नहीं है।” पुत्री से कहा “खाना खाले बेटी” तो उसने कहा “पिताजी जब तक आप मदिरा का धन्धा नहीं छोड़ेंगे हम खाना नहीं खायेंगे। दुकान के सामने प्राण त्याग देंगे।” पिता की आँखों से अश्रु टपके और उसी समय वह खोटा धन्धा छोड़ दिया।