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February 1979

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नाश्नति दादुराः शीते, फणिसः पवनाशनाः। कूर्माश्चैबाँगगो प्रारोदृष्टान्ता योगिना यताः॥

शीतकाल में मेंढक कुछ भी नहीं खाते, साँप वायु सेवन करके रह जाते है, कछुए अंग छिपाये पड़े रहते हैं। योगी भी ऐसा कर सकते है।


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