भगवान् की शक्ति अधिक (kahani)

February 1979

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“भगवान की शक्ति अधिक है या शैतान की”

“भगवान की”

“ यदि भगवान अधिक शक्तिशाली है तो फिर उसकी सृष्टि में अनाचार अत्याचार का आधिक्य क्यों?”

किसी को बनाने में अधिक समय व परिश्रम लगता है बिगाड़ने में नहीं! एक अच्छी मूर्ति गढ़ने में मूर्तिकार इतना समय लगता है व परिश्रम करता है परन्तु उसे तोड़ने में न कोई समय लगता है न विशेष परिश्रम ही! एक सन्त किसी व्यक्ति को दस वर्षों में यदि सुधार पाता है तो दुरात्मा उसे दस दिनों में ही भ्रष्ट भी करने की शक्ति रखता है।

किसी की भी शक्ति वा योग्यता का मापदण्ड बनाने में है बिगाड़ने में नहीं।

-सत्यभक्त

एक दिन कुआँ फरियाद लेकर समुद्र के पास पहुँचा, बोला “नदियों को ही प्यार करते हो हमें भी तो कभी पूछते भी नहीं! पिता के घर में ऐसा पक्षपात क्यों? समुद्र ने कहा “चारों तरफ से दीवार खींचकर बैठने वाले को जो मिलता है वही तुम्हें मिल रहा है। प्यार चाहते हो, तो अपनी दीवारें तोड़कर बाहर आ जाओ और हर दिल के किनारे बहो।”

-महमूद तैमूर


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