एक बहुत बुरी खबर

February 1979

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“जो बात मैं पूरे आत्मविश्वास से कहूं समझना चाहिये वह अवश्य होकर रहेंगी। इस वक्त मेरा अन्तरात्मा उत्प्रेरित है और मैं यह अशुभ समाचार देने को बाध्य हूँ कि सन् 1982 की जुलाई विश्व के महाविनाश के दृश्य लिये दौड़ी चली आ रहीं है। उस समय दो महाशक्तियों के मध्य कुल 12 मिनट का ऐसा वीभत्स परमाणु युद्ध होगा जिसमें छहों महाद्वीपों में कुल 70 हजार व्यक्ति जीवित बचेंगे। उस महाप्रलय की विभीषिका को देखने के लिए मैं जो जीवित नहीं रहूँगा किन्तु संसार उसके लिए अभी से तैयार रहे।”

यह उपोद्धात मैक्सिको के महान ज्योतिर्विद् आर्नाल्ड क्रूम हेलर के हैं जिनके बारे में यह कहा जाता है कि आज तक उसकी भविष्य वाणियों में 99 प्रतिशत भविष्य वाणियाँ पूरी तरह सही उतरी हैं। यह निष्कर्ष न केवल मेक्सिको अपितु यूरोप के उन अनेक पत्रकारों के है जिन्होंने समय-समय पर उनका साक्षत्कार किया और भविष्य कथन प्रकाशित किये।

श्री क्रूम हेलर अपने आप को ज्योतिषी कहलाने की अपेक्षा- कास्मोबायोलाजिस्ट (ब्रह्माण्ड जीवशास्त्री) कहलाना अधिक पसंद करते हैं। ब्रह्माण्ड जीव शास्त्र की प्रतिष्ठापना भी उन्होंने ही की है। उनकी मान्यता भारतीय दर्शन के इस सिद्धान्त से पूरी तरह मेल खाती है कि जीवन तत्व मात्र पार्थिक नहीं अपितु समूचा ब्रह्माण्ड ही जैव-द्रव्य से ओत-प्रोत है। शरीर के किसी भी अंग में पिन चुभे उसकी जानकारी अविलम्ब मस्तिष्क को होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि मस्तिष्कीय चेतना का शरीर से अविच्छिन्न सम्बन्ध जुड़ा हुआ है। ठीक इसी तरह समूचे ब्रह्माण्ड में सूक्ष्म संचार सूत्र फुटबाल में भरी हवा की तरह आत्मविश्वास रहते हैं। मनुष्य के न केवल तात्कालिक क्रिया कलाप अपितु दूरगामी योजनाऐं जिस तरह मस्तिष्क के गर्भ में ताने बाने बुनती और पकती रहती है ठीक उसी तरह भविष्य में घटने वाली सारी घटनायें ब्रह्माण्ड के उस अविभक्त जैव द्रव्य में तरंगायित होती रहती है। हम कल जो भी कुछ होंगे उसकी पूर्व भूमिका इसी को कहते है कि “कास्मोबायोलाजी”। मेरे अंतरंग की कास्मोलॉजी उन दृश्यों को फिल्म की तरह मानस पटल पर उतार देती है और मैं भविष्य बता देता हूँ।

इस कथन को चुनौती न भी दी जाए तो भी इस समय आणविक शस्त्रास्त्रों की चल रहीं भयानक घुड़दौड़ को देख कर, और महाशक्तियों के मध्य बिछी कूटनीतिक शतरंज को देखकर कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि कहीं से भी एक विशाल है कि उसमें 790 हजार मनुष्यों के बच जाने की बात तो दूर एक भी व्यक्ति जीवित न बचे तो उसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह बात तो गणित की तरह निर्विवाद और स्पष्ट समझी जानी चाहिए।

इस कथन के ज्योतिष पक्ष को भी गम्भीर दृष्टि से देखने के कुछ स्पष्ट आधार है (1) हिटलर की सेनाऐं हालैण्ड, फ्राँस और डेनमार्क को उदरस्थ कर चुकी थी उस समय कोई कल्पना भी नहीं करता था कि फ्युहरर को कोई पराजित कर सकेगा। तभी 23 नवम्बर 1945 के अखबारों में छपा अब हिटलर की पराजय के ही नहीं उसकी मृत्यु के भी दिन एक दो माह में अधिक नहीं। और सचमुच सारे संसार ने देखा कि उनकी भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य सिद्ध हुई। उनकी कुछ भविष्यवाणियाँ सितम्बर 1972 की कादम्बिनी में भी छपी थी।

(2) सन् 1958 में मैक्सिको में भयंकर भूचाल आने वाला है तीन वर्ष पूर्व ही जब उसने इस बात की भविष्यवाणी की तो लोगों उन्हें डराने वाला दैत्य तक कहा पर सचमुच उस वर्ष मैक्सिको में ऐसा विभत्स भूचाल आया कि मैक्सिको वासी त्राहि त्राहि कर उठे।

(3) स्टालिन की मृत्यु, मार्टिन लूथर किंग की हत्या तथा तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के लिए उन्होंने जो परिस्थितियाँ बताई थी उनकी मृत्यु ठीक वैसी ही हुई। इससे डा. क्रूम हेलर ख्याति के उच्च शिखर पर जा पहुँचे।

(4) एक बार वे लास ऐंजिल्स की यात्रा कर रहे थे। उनसे इंटरव्यू के लिए अनेक पत्रकार उनके पास पहुँचे। उस समय उन्होंने ठंडी आह भरते हुए कहा मित्रो! मुझे न जाने क्यों परमात्मा ने अशुभ समाचार ही देने को भेजा है। जिस प्रान्त में मैं इस समय बैठा हू कुछ ही महीनों बाद यहाँ के ध्वस्त और लाशों के ढेर मुझे अभी से दिखाई पड़ रहे हैं। उस समय तक उसका भविष्य वक्ता स्वरूप बहुत प्रसिद्ध हो उठा था अतएव समाचार पत्रों में छपी उनकी भविष्य वाणियों पर जहाँ कुछ ने मखौल उड़ाया वहाँ अनेकों नागरिकों और सरकारी अधिकारियों ने उस तथ्य को गम्भीरता से लिया-उनके इस भविष्य कथन के कुछ ही दिन बाद लास ऐंजिल्स में सचमुच इतिहास का सर्वाधिक रोमांचक भूकम्प आया। जिसमें बस्तियों पर बस्तियाँ उजड़ गई। लाखों लोगों की जाने गई पर उनके पूर्वाभास ने लाखों लोगों को बचा भी दिया अन्यथा स्थिति इतनी दयनीय होती कि अमेरिका के सम्भाले न सम्भलती।

(5) रूप और चीन के मध्य युद्ध और तनाव की भविष्यवाणी करने के बाद उनका सर्वाधिक उपहास हुआ था, पर दो साम्यवादी देशों के मध्य युद्ध और बुरे सम्बन्ध आज सारी दुनिया देख रहीं हैं।

(6) सन् 1961 को अमेरिकी राष्ट्रपति यात्रा पर थे। सुरक्षा के लिए सैकड़ों पुलिस अधिकारी जुटे थे। पुलिस का घेरा तोड़कर क्रूम हेलर उनके पास पहुँच गये और उनके हाथों में एक परचा थमा दिया। कैनेडी ने पर्ची पढ़ी, उनकी ओर देखकर अविश्वास की मुद्रा में मुस्कराये और पर्ची फेंक दी-घटना का विवरण अखबारों में छपा लिखा था दो वर्ष बाद 22 नवंबर को आपकी हत्या कर दी जायेगी। पीछे लोगों ने इस भविष्य कथन को सत्य पाया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

आज से कई वर्ष सृष्टि के महाविनाश के पूर्वाभास भी ऐसे ही हैं जिन पर लोगों को हंसी आ सकती है। मनुष्य सर्व शक्तिमान नहीं है उससे भी ऊपर समर्थ सत्ता परमात्मा की है वह स्वयं नियामक सत्ता है विधान बदल भी सकता है किन्तु उनके लिए मानवीय प्रकृति का बदलना भी आवश्यक है। अंधाधुँध अपराध करने वाला सजा से बचेगा। यह मात्र दुराशा है यदि वह प्रायश्चित के लिए तैयार हो तब यह सम्भव है कि उसकी दंड प्रक्रिया सह्य और सरल बना दी जाये। महाविनाश से बचने के लिए मानवीय आस्थाओं का परिवर्तन आवश्यक है। इन दिनों ही रहीं स्वार्थ और भोगवादी घुड़दौड़ रोकी जाए मनुष्य की उच्छृंखलता पर रोक लगे विलासिता का स्थान प्रकृतिस्थ जीवन ग्रहण करे। मर्यादाओं का उल्लंघन रुके तो संभव है इस ईश्वरीय दंड से कुछ विमुक्ति मिले अन्यथा सृष्टि के विनाश की सम्भावना तो चर्मचक्षुओं से ही देखी जा सकती है।

आर्नाल्ड क्रूम हेलर की इस समीक्षा का भविष्य क्या है लोगों ने उनसे प्रश्न किया तो उन्होंने उत्तर दिया-महाविनाश अवश्यम्भावी है किन्तु मानव जाति का लोप हो जायेगा ऐसा नहीं। उन्होंने कहा हमारे पुरखों की आद्य संस्कृति को नया जन्म मिलने वाला है यह स्मरणीय है कि मैक्सिको किसी समय मय संस्कृति का घर रहा है। यह सभ्यता वहाँ भारतवर्ष से गई है। महायुद्ध की विभीषिकायें ही विकसित नहीं हो रहीं पवित्रता समता करुणा उदारता न्याय नीति मैत्री और विश्व बन्धुत्व वाली शक्ति भी अवतरित हो चुकी है विश्व की तुलना में वह यद्यपि अभी शिशु जैसी और गहन अन्तराल में हैं-वहाँ श्रद्धा और विश्व की शक्ति कार्य कर रहीं है तथापि वह परमाणु से भी अति समर्थ है और अनत में इसी महाशक्ति की साँस्कृतिक पौध सारी दुनिया में तिरित होगी, रोपी जायेगी पुष्पित पल्लवित होगी और इस तरह शान्ति प्रगति और प्रसन्नता की एक नई फुलवारी दुनिया में लहलहायेगी।

सन् 1972 में उन्होंने कुछ भविष्य वाणियाँ इस प्रकार की थी :-

(1) अफगानिस्तान में दो बड़ी समस्याएं- अंतर्क्रान्ति और सैनिक शासन।

(2) पाकिस्तान में प्रजातन्त्र का सदा के लिए अन्त।

(3) भारतवर्ष सत्ता परिवर्तन भयंकर प्राकृतिक प्रकोप जो सन् 1982 तक प्रतिवर्ष और अधिक उग्र होते चले जायेंगे-यही वह देश जिसके प्रताप से महायुद्ध की उग्रता शान्त होगी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत वर्ष विश्व का शिरोमणि राष्ट्र बनेगा।

(4) कैलीफोर्निया में भयंकर भूचाल और उसका बहुत भाग पृथ्वी में समा जायेगा।

(5) भारतवर्ष और रूस की अटूट मंत्री और साम्यवादी रूस का धार्मिक देश के रूप में परिवर्तन।

(6) इंग्लैंड में भयंकर मुद्रा संकट।

(7) चीन में भयंकर गृहयुद्ध-जिससे बचने के लिए चीन द्वारा विश्व युद्ध प्रारम्भ करने का पतीला।

इनमें से अनेक भविष्यवाणियों को लोग सत्य हुआ देख भी चुके है। श्री क्रूम हेलर एक ऐसे ज्योतिर्विद् है जिनकी भविष्य वाणियों को कतरने पश्चिमी देशों में अनेक पत्रकार अपनी सम्पत्ति की तरह फाइलों में सुरक्षित रखते हैं। “हैरिएट” के संवाददाता-जान मिलर-जो कई बार भारतवर्ष की यात्राऐं कर चुके है का कथन है कि उनके पास क्रूम हेलर की एक ऐसी भविष्य वाणी है जिसको उन्होंने अपनी अन्तिम भविष्यवाणी बताया है-यह भारतवर्ष से सम्बन्धित है और इसीलिए मैंने भारतवर्ष विशेषकर उत्तराखंड हिमालय की कई बार यात्रायें की हैं। बहुत पूछने पर वे इतना ही बताते है कि इनका संबंध उस महाशक्ति से है जिसे क्रूम हेलर इस युग की एक बहुत बड़े चमत्कार की संज्ञा दिया करते थे और कहा करते थे धार्मिक आस्थाओं के कारण लोग राजकीय वैभव तक का परित्याग कर देते है यह बात बुद्ध के इतिहास में तो मिलती है, पर उसकी पुनरावृत्ति इस युग के लोग अपनी आंखों से देखेंगे। यही वह आदर्श है जो इस महाविनाश का शमन करेंगे अन्यथा आगामी विश्वयुद्ध में पूर्ण प्रलय तक आशंका है।

भविष्य क्या होगा इसकी सत्यता तो समय बताएगा पर वस्तुतः अब जो परिस्थितियाँ हैं वे अपने आप में एक बहुत बुरी खबर है मानवीय जीवन में व्याप्त आस्था संकट, नैतिक और सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन राजनैतिक दर्प, जनसंख्या की बाढ़ खाद्य संकट मुद्रा स्फीति, और परमाणविक आयुधों का अंधा धुँध निर्माण ही इस बुरी खबर को सत्य सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है-उन्होंने वाला तो इससे भी अधिक भयंकर है, तब जब कि मनुष्य अपनी जीवन दृष्टि बदलने को तैयार नहीं होगा।


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