प्रगति का एकमेव आधार-प्रतिभा, सहकार

January 1978

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असाध्य रोगों के निवारण और ऐसी ही अनेक संकट पूर्ण परिस्थितियों में जीवन को बचाये रखने की दिशा में सर्वोपरि प्रगति अमेरिका ने की है। हृदय, फेफड़ों, यकृत तथा कृत्रिम रुधिर संचार की अच्छी से अच्छी यांत्रिकी और जीवन दायिनी मशीनों और उपकरणों के लिए सारा संसार अमेरिका का आश्रित है। इसका कारण इस देश में विपुल सम्पत्ति और साधन नहीं हैं अपितु एक ऐसा सहयोग है, जिसकी ओर दुनिया के बहुत कम लोग ध्यान देते हैं। ज्ञान-विज्ञान के अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञ यदि सहकार और सहयोग की भावना से एक स्थान पर मिलें, बैठें और परस्पर विचार विनिमय करें तो ऐसी अनेक उपलब्धियाँ अर्जित की जा सकती हैं, जो औरों के लिए आश्चर्यजनक सी लगती हों? ऊपर जिस यन्त्र “हृदय मशीन” (मेशमेकर) से सहयोग के सत्परिणाम की गाथा प्रारम्भ होती है वह किसी अकेले एक व्यक्ति, कम्पनी या विभाग की उपलब्धि नहीं अपितु कई विभागों की संयुक्त से योग्यताओं के एक स्थान पर संगठित होने का परिणाम है। पेशमेकर के निर्माण में अमेरिकन कम्प्यूटर टेक्नालॉजी, विद्युत विभाग तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सम्मिलित प्रयास लगा हुआ है। यदि यह तीनों ज्ञान की धाराएं अलग-अलग दिशाओं में बहती रहतीं तो सम्भवतः त्रिवेणी संगम की तरह पुण्य फलदायक इस यन्त्र का निर्माण ही सम्भव नहीं होता।

सहयोग की भावना में प्रथम लाभ तो यह है कि आदमी की अहं भावना मिटती है एक का ज्ञान, एक की क्षमता सीमित दस का ज्ञान दस की क्षमता असीमित सीमित क्षमता से असाधारण उपलब्धियाँ सम्भव नहीं उसके लिए असाधारण सामूहिक योगदान ही शक्य और समर्थ है। पीछे तो अमेरिकन की जनरल इलेक्ट्रिक कम्पनी भी इस सहकार में सम्मिलित हो गई तभी इतना उपयोगी यन्त्र विकसित हो सका कि अब उसे धारण करने वाले न केवल सामान्य जीवन प्रक्रिया चला लेते हैं अपितु खेलकूद भी सकते हैं, उछल सकते हैं, तेज गति से दौड़ भी सकते हैं।

अमेरिका भौतिक समुन्नति का श्रेय भी इसी बात को है कि वहाँ ज्ञान सारे विश्व से आकर्षित किया गया और उसका ध्रुवी कृत लाभ अमेरिकी प्रशासन ने प्राप्त किया यह परम्परा चाहे देश हो या समाज जहाँ भी सहकारिता पनपती है, वहीं समुन्नति फलती-फूलती है। ‘जहाँ सुमति तहं सम्पत्ति नाना’ कहावत इसी बात को सिद्ध करती है। सुमति का अर्थ ही- सामूहिक सद्भाव का विस्तार है, उपचार के क्षेत्र में बने संगणक अमेरिका के लाकहीड कं0 के इंजीनियरों के सहयोग से बना यह कं0 लड़ाका विमान स्टार फाइटर्स बनाती है मेडिकल का तो उसे ज्ञान है, यह मार्गदर्शन उसे मेयोक्लीनिक से मिला। डिजाइनर्स मेडिकल प्रोफेसरों के सुझाव पर ‘एक्पेसेंमा बेल्ट’ जो वास्तविक शोध और फेफड़े की बीमारी पर साँस लेने में सुविधा प्रदान करती है। ‘नार्थ अमेरिकन एविएशन’ के सहयोग से सम्भव हुआ।

विश्व को ‘महा प्रपंच’ और प्रकृति को विविध रूपा कहा गया है। हमारे शरीर में ताप विज्ञान भी विद्यमान है, रसायन शास्त्र भी फोटोग्राफी भी, फिजियोलॉजी भी, इंजीनियरिंग का इसमें कमाल है तो यह मनोविज्ञान का जादुई पिटारा भी है। इतना सब होते हुए भी मनुष्य जीवन के अस्तित्व पर एक सुनिश्चित निर्णय आज तक नहीं हो पाया। पन्थों, सम्प्रदायों और नित्य नये दर्शनों का उदय इसी कारण हुआ। यदि ज्ञान विज्ञान के समूचे क्षेत्र को एक स्थान पर एकत्र किया जा सका होता तो सम्भवतः बहुत समय पूर्व किसी सर्वमान्य सिद्धान्त की वैसे ही स्थापना हो चुकी होती जैसी कि इन मेडिकल मशीनों के प्रति किसी को कोई आशंका नहीं। यह तो कुछ उदाहरण मात्र हैं। जो न केवल चिकित्सा अपितु जीवन के अनेक क्षेत्रों में सहयोग के चमत्कार की सम्भावनाओं का संकेत करते हैं।

ऊपर जिस ‘बेल्ट’ का जिक्र किया गया है, वह अन्तर्ग्रहीय यानों पर उल्कापिंड गिरने के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए बनाया गया था। ‘नासा स्पेश अधिकारियों से कुछ डाक्टरों की मैत्री थी। एक दिन दोनों प्रकार के अनुभवों का एकीकरण हुआ तो एक नये आविष्कार ने जन्म लिया। इसी तरह मानव जीवन की अनेक समस्याओं का, राजनैतिक उथल-पुथल, अकाल और युद्ध जैसी मानवीय विभीषिकाओं का भी मिल जुल कर जितना अच्छा समाधान हो सकता है; कोई अकेला तमाम उम्र वैसा नहीं कर सकता। यदि ज्ञान की समस्त धाराओं को एकत्र किया गया होता अपने-अपने अनुभवों का पंजीकरण विद्वान लोग कर सकते होते तो सब मिलकर अनात्मवादी आस्था को समाप्त करने में सफल हो गये होते जब कि इस के अभाव में आज दर्शन टकराते हैं, सभ्यताओं और सम्प्रदायों में संघर्ष है, मान्यताओं को लेकर मनुष्य-मनुष्य में खींचतान है। ‘सत्य’ एक है दो नहीं पर उसकी पहचान एक नहीं अनेक ज्ञान धाराओं के संगम से ही सम्भव है।

चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण में उतरने वाला चन्द्रयान यदि तेजी से उतर कर भी ध्वस्त नहीं हो सकता तो पृथ्वी पर वाहनों के बीच की दुर्घटनाएं क्यों नहीं टल सकतीं? यह विचार आते ही, हवाई जहाजों में प्रयुक्त ‘हनीकूम्ब’ चद्दरें अत्यन्त हल्की तथा मजबूत होती हैं। उनका उपयोग कर यात्राएं सस्ती और वाहन हल्के क्यों नहीं किए जा सकते, इस विचार से कुछ मोबाइल कम्पनियाँ नये यातायात साधनों की खोज में लग गई हैं। कपड़ा उद्योग मौसम विभाग की जानकारी प्राप्त न करें तो उसका उत्पादन आधा हो जाये, रसायन शास्त्री अपने रासायनिक विश्लेषण देकर अपराधियों को पकड़वाने में मदद देते हैं। इस तरह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के ज्ञान यदि कहीं भी एकत्र किए जा सकें तो एक अभिनव सामाजिक क्रान्ति हो सकती है और मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

ज्ञान और अनुभवों का क्षेत्र बड़ा व्यापक और विशाल है, पर यह अनेक दिशाओं में बिखरा पड़ा है। सूर्य की करोड़ों किरणें सैकड़ों दिशाओं में फैली हुई है, उनसे प्राणिजगत को चेतना तो मिलती है, पर यदि उस शक्ति का चमत्कार देखना हो तो एक आतिशी शीशे में उन असंख्य किरणों को एक करना पड़ेगा। नई दिशाएं, नई उपलब्धियाँ, नये निर्माण खड़े करने हों तो अनेक तरह की प्रतिभाओं का संकलन आवश्यक ही नहीं अनिवार्य होगा। ज्ञान का अर्थ प्रतिभा, प्रतिभा का अर्थ क्षमतावान मनुष्य यदि विचारशील व्यक्तियों की अपने तक ही सीमित रहने की संकीर्ण मनोवृत्ति दूर हो सके तो इसी तरह के मनुष्य जीवन को लाभान्वित करने वाले असंख्य चमत्कार प्रस्तुत किए जा सकते हैं।


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