अग्निवेश ने आचार्य चरक से पूछा (kahani)

January 1978

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जिज्ञासु अग्निवेश ने आचार्य चरक से पूछा - ‘संसार में जो अगणित रोग पाये जाते हैं, उनका कारण क्या है ?’

चरक संहिता के अनुसार आचार्य ने उत्तर दिया- ‘व्यक्ति के पास जिस स्तर के पाप जमा हो जाते हैं, उसी के अनुरूप शारीरिक एवं मानसिक व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं।’

व्यक्तिगत पापों का फल व्यक्ति को भुगतना पड़ता है, पर सामूहिक दुष्प्रवृत्तियों का फल समूचे समाज को भोगना होता है। अतिवृष्टि अनावृष्टि, भूकम्प, महामारी, हिमपात, टिड्डी दल आदि प्रकृति प्रकोपों को व्यापक रूप से फैली हुई अवांछनीयताओं, कुरीतियों एवं अनैतिकताओं का प्रतिफल समझा जाना चाहिए।

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