ब्रह्म जी ने जब पृथ्वी बनाई (kahani)

January 1978

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ब्रह्म जी ने जब पृथ्वी बनाई तो वह हिल रही थी। उन्होंने बड़े-बड़े पहाड़ उत्पन्न किये जिनके भार से उसका डगमगाना बंद हो गया। पहाड़ों की विशालता देखकर देवता चकराये। उनने पूछा- ‘भगवान इस धरती पर क्या पहाड़ से भी बड़ा और कोई है ‘ब्रह्मा जी ने कहा- ‘वह लोहा है जिससे पहाड़ तोड़ा जा सकता है। उससे अधिक और क्या है उसका उत्तर देते हुए ब्रह्माजी ने कहा- ‘वह आग है जो लोहे को गला देती है।’

प्रश्न एक के बाद एक बढ़ते गये। इससे अधिक बलवान और क्या? इस जिज्ञासा का लगातार समाधान करते हुए ब्रह्मा जी ने आग से बड़ा पानी को बताया जो उसे बुझा देता है। पानी से बड़ा पवन को बताया जो उसे सुखा देती है। अंत में पवन से बड़ा इंसान बताया गया और कहा- ‘साधारण स्थिति में तो उसका रूप जो भी रहे, पर जब वह अपने साधनों को बाँटकर खाता है तब उसकी शक्ति असीम हो जाती है।’

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