दूरदर्शी नीतिमत्ता (kahani)

February 1974

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एक भैंस भी—बड़ी उपद्रवी। तुड़ाकर भाग जाती थी और जिस खेत में भी घुस जाती—उसी को कुचल कर रख देती। पकड़ने वालों की भी वह अच्छी खबर लेती। एक दिन तो उसका दिमाग ही खराब हो गया। किसी कि पकड़ में आती ही न थी।

हैरान लोगों के बीच में से एक लड़का निकला, उसने सिर पर हरी घास का गट्ठा रख लिया और उपद्रवी भैंस की तरफ सहज स्वभाव से आगे चलता चला गया। वह ललचाई और घास खाने के लिए आगे बढ़ने लगी। लड़के ने उसके आगे गट्ठा डाल दिया और मौका मिलते ही उछल कर उसकी पीठ पर जा बैठा और डण्डे से पीटते हुए बाड़े में ले आया।

लोगों ने जाना—आवेश भरे प्रतिरोध से भी बढ़कर उपद्रवी-तत्वों को काबू में लाने के लिए क ई बार दूरदर्शी नीतिमत्ता अधिक काम करती हैं।

—’चीनी लोक-कथा’


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