जुलाई, अगस्त, सितम्बर में प्रत्यावर्तन सत्र तीन महीने के लिए पुनः चालू होंगे। जिन आवेदनकर्ताओं को अभी अवसर नहीं मिला है इन तीन महीनों में बुलाने की व्यवस्था की जा रही है।
वाणी शिविरों की तरह ही गायन एवं संगत के शिक्षण का भी प्रबन्ध किया जाना है। लोक−मानस को भाव तरंगित का कितना महत्व है यह किसी से छिपा नहीं। नव−निर्माण के लिए इस शक्ति का भी उपयोग किया ही जाता है। लेखनी और वाणी की तरह संगीत धारा को मिलाने से ही भगवती सरस्वती की त्रिवेणी बनती है।
जुलाई, अगस्त, सितम्बर 74 के तीन महीनों में संगीत शिविर चलाने का निश्चय किया गया है इसमें उन्हीं को लिया जायगा जिन्हें पहले से भी संगीत का कुछ अभ्यास नहीं है उन स्वेच्छा नौसिखियों को नहीं बुलाया जायगा। उसके लिये पीछे कभी प्रबन्ध किया जायगा। अभी तो केवल उन्हीं को स्थान मिलेगा जिन्हें पहले से भी इस सम्बन्ध में कुछ रुचि, जानकारी एवं क्षमता है।
संगीत शिक्षा के लिए आने वाले अपना पूरा परिचय और अब तक की जानकारी का विस्तृत विवरण लिखें। शान्ति−कुञ्ज सप्तसरोवर हरिद्वार की स्वीकृति मिलने के उपरान्त ही किन्हीं को आने की तैयारी करनी चाहिए।
*समाप्त*