सन्तोष की बात (kahani)

February 1974

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हाथ जब फूल के बिलकुल निकट जा पहुँचा तो फूल ने पूछा—इस सघन समीपता का क्या उद्देश्य है—बन्धु?

उत्तर देते हुए हाथ ने कहा—तुम्हारे ऊपर उपकार करने आया हूँ। देवता के समीप तुम्हें पहुँचाने का विचार हैं।

फूल उदास हो गया, उसने कहा—देवता तक तो सौभाग्यशाली फूल पहुँच ही जाते हैं। इन निरीह तितलियों और मधुमक्खियों के काम ही आता रहता और जहाँ जन्मा—वहीं खाद बनकर गल जाता तो मेरे लिए अधिक सन्तोष की बात होती।


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