बहुत समय पूर्व जापान के एक जिले के जिलाधीश थे−चाईशेन। उनके हाथ में सरकार ने बहुत सत्ता दे रखी थी।
एक व्यापारी अपना कुछ काम सरकार से निकालना चाहता था। इसके लिए जिलाधीश का सहयोग अपेक्षित था। व्यापारी अशर्फियों की थैली लेकर पहुँचा और बोला—यह भेंट स्वीकार करें, मेरा काम कर दें। इस भेंट की बात कोई भी नहीं जान पायेगा।
चाईशेन ने कहा−यह कैसे हो सकता है कि कोई न जाने। धरती, आसमान, मेरी आत्मा, आपकी आत्मा और परमात्मा पाँच की जानकारी में जो बात आ गई, उस पाप का भेद तो खुल ही गया। कृपा कर अपनी अशर्फियाँ वापिस ले जाइये, अपने कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व को झुठलाना मेरे लिए किसी भी प्रलोभन के बदले सम्भव न हो सकेगा।