सन्त चिदम्बर उन दिनों सिद्ध-पुरुष माने जाते थे। कितने ही लोग उनके पास सहायता के वरदान माँगने जाते।
एक दिन एक स्त्री—सन्तान प्राप्त होने का आशीर्वाद माँगने आई। सन्त ने उसे भुने चने दे दिये और सन्तोष पूर्वक बैठकर पेट भर लेने को कहा।
स्त्री चने खाती रही। कई छोटे बच्चे उधर खेल रहे थे, उनने चने पाने के लिए स्त्री को निहारा, पर उसने आँखें फेर लीं—किसी को दिये नहीं।
विदाई का प्रणाम करने वह स्त्री पहुँची तो सन्त ने कहा—देवी! जब तू बच्चों को तनिक-से चने तक देने की उदारता न दिखा सकी तो भगवान तुझे बेशकीमती बच्चा मुक्त में कैसे देगा?