सद्वाक्य एवं लघु कहानी - सन्त एकनाथ

May 1971

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सद्वाक्य -

जो प्रकट है उतना ही विज्ञान नहीं वरन अप्रकट का विज्ञान भी जबरदस्त है यदि उसे भुलाया गया तो इसे वैज्ञानिक अन्धविश्वास ही कहा जाएगा । -रोम्या रोलां

लघु कहानी -

कुछ ग्रामीण एक साँप को मार रहे थे, तभी उधर आ पहुँचे सन्त एकनाथ और बोले भाइयो ! इसे क्यों पीट रहे हो-कर्मवश सर्प होने से क्या ? यह भी आत्मा ही तो है । एक युवक ने कहा-आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ? एकनाथ ने कहा-तुम लोग सर्प को न मारो तो वह तुम्हें क्यों काटेगा ? लोगों के एकनाथ के कहने से सर्प को छोड़ दिया ।

कुछ दिन पीछे एकनाथ अँधेरे में नदी स्नान करने जा रहे थे । तभी उन्हें सामने फन फैलाये खड़ा सर्प दिखाई दिया। उन्होंने उसे बहुत हटाना चाहा पर वह टस से मस न हुआ । एकनाथ मुड़कर दूसरे घाट स्नान करने चले गये । उजाला होने पर लौटे तो देखा बरसात के कारण वहाँ एक गहरा खड्डा हो गया है । सर्प ने न बचाया होता तो एकनाथ उसमें कब के समा चुके होते ।


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