लघु कहानी- ध्यान का महत्त्व

May 1971

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ध्यान का महत्त्व

दो मित्र थे । एक व्यक्ति दिन भर परिश्रम कर पेट भरता । दूसरा केवल दो घण्टे परिश्रम करता था । पहला व्यक्ति तो और भी क्षीणकाय हो गया, दूसरा नगर प्रसिद्ध पहलवान बन गया । पहलवान को दिन व दिन मान व धन मिलता जा रहा था । एक दिन उन दोनों की भेंट हुई, तो पहलवान ने उससे पूछा-’तुम तो दिनभर मेहनत करते हो तो तुम्हारा शरीर और दुर्बल हो गया है और मैं केवल दो तीन घंटे ही मेहनत करके और अधिक शक्तिवान हो गया हूँ।’ फिर उसने पूछा- ‘तुम जब मेहनत करते हो तो तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है ।’ उस दूसरे ने कहा-’पैसे कमाने में । पहलवान ने कहा-’यही कारण है, मेरा ध्यान तो मेहनत करते समय शक्ति में लगा रहता है। मैं सोचता हूँ मेरी ताकत बढ़ रही है।’


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