एक बार कस्तूरबा बीमार थीं। उनकी बीमारी के निवारण के लिए गाँधी जी ने उन्हें नमक छोड़ने को कही। कस्तूरबा इस बात पर झल्ला उठीं, बोली ‘कभी नमक भी छोड़ा जा सकता है। आप तो विचित्र विचित्र बात कह देते हैं।”
इस पर महात्मा गाँधी ने नमक छोड़ने का व्रत ही ले लिया। कस्तूरबा को अपनी हार माननी पड़ी।